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Stories related to लगातार

F M POETRY

#फिर लगातार देखना है उसे...

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Unsplash आख़री बार देखना है उसे..
फिर लगातार देखना है उसे..

वो दवाएं बहुत बताता है..
होके बीमाऱ देखना है उसे..


🙏🙏🙏

©F M POETRY #फिर लगातार देखना है उसे...

N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} सागर में मोती ढूढना आसान हो सकता है, पर व्यक्ति के मन को परख पाना बिल्कुल मुश्किल हैं, कियोकि सागर सीमित

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
सागर में मोती ढूढना आसान
हो सकता है, पर व्यक्ति के मन
को परख पाना बिल्कुल मुश्किल
हैं, कियोकि सागर सीमित हो 
सकता है, पर मन का वेग और 
आकार असीमित हैं, मन पर
लगाम केवल भगवान श्री कृष्ण
जी की ओर लगातार लगाने से
सीमित व लग सकता है।।

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
सागर में मोती ढूढना आसान
हो सकता है, पर व्यक्ति के मन
को परख पाना बिल्कुल मुश्किल
हैं, कियोकि सागर सीमित

N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} अक्सर लोग कहते रहते हैं, वक्त ने सब कुछ सिखाया, लेकिन समय पर नही शिखाया, समय तो समय पर ही संकेत देता

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
अक्सर लोग कहते रहते हैं, वक्त ने 
सब कुछ सिखाया, लेकिन समय पर 
नही शिखाया, समय तो समय पर ही 
संकेत देता है, ये तो हमारी बुद्धि 
समय पर ग्रहण नही कर सकी, समय 
किसी के लिए नही रुकता, समय का 
चक्र बिल्कुल समय पर और लगातार 
चलता रहता है, गलती सिर्फ हमारी है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey}
अक्सर लोग कहते रहते हैं, वक्त ने 
सब कुछ सिखाया, लेकिन समय पर 
नही शिखाया, समय तो समय पर ही 
संकेत देता

gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

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पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya #NatureLove 
पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
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