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Dr AWANEESH MISHRA
मौसम के नाम बेनाम ख़त मौसम खुशगवार है कि आज गेंदें - सा खिल गया है चमन किसी सिरफिरे से फिर रही है मतवाली सबा सूरज ने कपाट खोल दिया है झरोखेका जिससे दुनिया का उजाला आ रहा है ©Dr AWANEESH MISHRA #poems #Love
#poems Love
read moreWriter Mamta Ambedkar
गद्दारों के शहर में दिल की बात कहे भी तो, किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं। चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर, हर कोई छल-कपट का साकार है। बातों में मलहम, हाथों में नमक, दिखावटी अपनापन हर ओर है। दर्द पूछते हैं, सहला के, फिर घावों को चीरने का जोर है। यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती, झूठ के सिक्के खनकते हैं। अपनों के बीच भी परायापन, दिलों में फासले पलते हैं। तो किससे कहें ये दिल की बात, कौन सुनेगा हमारी पुकार? इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी, जहां हर रिश्ता एक व्यापार। पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता, शायद कहीं कोई अपना भी हो। जो मलहम भी लगाए, सहलाए, और नमक के घावों से बचाए। ©Writer Mamta Ambedkar #Childhood
Avinash Jha
वात्सल्य का स्पर्श जब मुस्काए किलकारी बन, भर दे घर आंगन की चहल-पहल। छोटे हाथों की छुअन से, झूम उठे सारा घर-आलय। नन्हें कदमों की वो आहट, जैसे सुबह का पहला किरण। माँ के आंचल में छुप जाए, पिता के कंधों पर वो सुमिरण। उनकी हँसी का संगीत सुन, दीवारें भी गुनगुनाने लगतीं। खिलौनों की मीठी बातें, हर कोना दर्पण बन जातीं। नटखट शैतानी में छिपा, जीवन का अनमोल ज्ञान। हर बिखरी चीज़ में झलकता, स्नेह का अनुपम सम्मान। माँ के हाथों से खाए निवाले, स्वाद बन जाते हैं अमृत। पिता की उँगली पकड़कर चले, हर सफर लगता है सरल। वो छोटे-छोटे सवाल, जैसे गूंजें नदियों के सुर। उनकी जिज्ञासा से सीखें, हर पल का अद्भुत मर्म। इस वात्सल्य की सुगंध से, महक उठे हर आशियाना। एक बच्चे की मासूमियत से, सजता है सारा जमाना। ©Avinash Jha #Childhood
_बेखबर
जीने की फनकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत मैं भी अदाकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत इस सादगी से भला किसका काम चलता है यारों मैं भी पुरकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत ©_बेखबर #poems #Poetry #hindi_poetry #Love #love_shayari
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