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Khilendra Kumar
लोगों की सर्वें करने मैं घर - घर जाया करता हूँ ' जब जब चुनाव के दिन आते मैं मतदान कराता हूँ । कभी जनगणना कभी मतगणना कभी वोट बनानें बैठा हूँ ' मैं कहां पढ़ाने बैठा हूँ? रोज ना जानें कितनी यूँ डांक बनाना पड़ता हैं, बच्चों को पढ़ाने की इच्छा मन में दबाना पड़ता है , केवल शिक्षण छोड़ हर फर्ज निभाना पड़ता हैं । मैं कहां पढ़ाने ... इतने पर भी दुनिया वालें मेरी कमी बताते हैं परिणाम ना आने पर मुझे ही दोषी ठहराते हैं । बहरें हैं यहां लोग ,मैं किसे सुनाने बैठा हूँ । मैं नही पढ़ाने बैठा हूँ , मैं मतदान कराने बैठा हूँ ।। मैं कहां पढ़ाने बैठा हूँ ॥. ©Khilendra Kumar शिक्षक की मगेव्यथा भाग 2
Rajesh Jha
खुद की सुनो भाग-(2)😊 अच्छा सुनो, कभी जलदी में कोई निर्णय मत लेना हा जीवन जीना है सोच के खुद को ग़लत के साथ मत ले चलना। अच्छा एक पल में अब तुम ठहर से मत जाओ चलती का नाम ही गाड़ी रुक जाए तो भंगार है वो। तो चलो अब थक मत जाओ उठो और उस लम्हें के साथ चलो हाँ खुद की तुम खुद भी सुनो। हाँ अब सहो मत अब लड़ो उन परिस्थितियों से चलो अब मज़बूरियों से ज्यादा मजबूत बनो। चुप क्यों हो, अब तुम भी तो कुछ कहो हां मै अब चलता हूं। ठहर के देख लिया चलो, अब ज़िन्दगी तुम्हारे हर किस्सों में तुम्हारे साथ चलता हूँ । अब इस अंजान दुनिया से बेखौफ खुद ही लड़ता हूँ। अब खुद की मैं, खुद ही सुनता हूँ। चलो अब मुझे तुम से भी आगे जाने दो । हां तुम अब यही करो अच्छा सुनो, अपना ख्याल रखो ख़ुद की खुद से सुनो। खुद की सुनो☺️ (भाग-2)
Yaminee Suryaja
प्रेम की आहुति (भाग 2) क्योंकि वो होली में अपने मामा के यहाँ चला जाया करता था । फिर एक दिन...जब मां के फोन में मैं सबकी डीपी देख रही थी और एक लड़के की डीपी पर मेरी नज़रें थमीं और मैं कहीं खो गयी तब मां ने बताया कि जिसकी तस्वीर को मैं निहार रही हूं वही 'विक्की' है। तस्वीर में तो विक्की इतना मासूम, इतना प्यारा और इतना आकर्षक लग रहा था कि मैं तो उस पर मोहित ही हो गयी। उस दिन के बाद से मेरी डायरी में तो जैसे विक्की ने कब्जा ही कर लिया मतलब कि, डायरी में बस विक्की की ही बातें होतीं । इस प्रकार से अगली होली भी आ गयी और मैं इस बार भी मामी के घर मतलब विक्की के घर जाने को बेचैन थी। जब हम पहुंचे तो एक आवाज ने मेरा स्वागत किया और वह विक्की की आवाज थी वो कह रहा था- 'आओ मामी , बैठो।' ये पहली होली थी विक्की की जो शायद वो अपने घर पे मना रहा है । विक्की की आवाज सुनकर मैं मंत्रमुग्ध हो गई । उसका व्यवहार, उसकी बातें, व्यक्तित्व मैं सब पर मोहित हो गई। अहसास हुआ मानो जिसकी तलाश थी वह मिल गया। मामी के यहां कुछ देर रुकने के बाद हम घर लौट आए। अब मैं और ज्यादा बेचैन रहने लगी। इसी बीच एक दिन मां के फोन में जब मैंने एफबी खोला तो विक्की की प्रोफाइल मिली। कुछ दिन मैंने उसके पोस्ट पर लाइक और उनपर कमेंट किए उसके बाद मैसेंजर पर बातें हुई, मैसेंजर से व्हाट्सएप और फिर फाइनली कॉल पर बातें होने लगीं । हर इंसान की अपनी कहानी होती है वैसे ही मेरे विक्की की भी है। विक्की की ओर से दोस्ती बढ़ने लगी और मेरी तरफ से प्यार। ©Yaminee Suryaja प्रेम की आहुति (भाग 2) #NojotoStreak
Raone
बहुत लिखा है इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा पर पर क्या इसका अर्थ भी आप समझ पाओगे वो डायरी मेरी खोल के देखो, जिसमें मेरी तुम तलाश लिखी हो ज़रा दिल से पढ़ना उन अल्फ़ाज़ों को जिसमें पूरी की पूरी बस आप छपी हो पर अफ़सोस की शायद तब भी तुम समझ न पाओ कि किनती उसमें पीर लिखी है सच है तुमने जा चाहा था वक्त के साथ मैं मर जाऊँ आपके श्राप से तिनका तिनका सा मैं उड़ जाऊँ ख़ून से अपने, हमने ये तो गीत लिखा है दिल से देख तू ऐ ज़िन्दग़ी, पूरे पन्नों में बस तू हीं छिपा है राone@उल्फ़त-ए- ज़िन्दग़ी (भाग-2) (भाग-2)