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soul search
गायब होने की जो तेरी पुरानी आदत है उससे मैं वाकिफ हूं यू जता के प्यार अपना उम्मीद रखना मुझ से तेरा तेरी पुरानी आदत है और वो मेरे इज़हार के बाद तेरा यूं सोच में पड़ जाना तेरी पुरानी आदत है यह लुका छुपी के खेल खेलना तेरी पुरानी आदत है #लुक्का_छिपी
Pankaj Singh Chawla
माँ मैं आज फिर बच्चा बनना चाहता हूँ । (Read in Caption) 'बच्चा' मैं आज फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ, माँ संग कुछ यादें ताज़ा करना चाहता हूँ। बचपन गुज़र कर आई है अब ये जवानी, माँ संग बचपन को फिर ज
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# बादल। ये बादल बहुत खूबसूरती का एहसास जगा जाते है। किसी की याद दिला जाते है। कभी चांदनी के आगोश में तो कभी सूरज की किरणों को सामना लेते है लुक्का चुप्पी का खेल खेलते है। कभी। कठोर घने काले बादल ।कभी आसमानी रंग के आंखोंको थड़क देते हुए बादल। असीम ख़ुशी देते हुए । कितनी आकृतियां छुपाए।बनाए ये बादल। दिलकश नजारे दिखाते ये बादल। कितने रंगो से भरे ये बादल । बदलाव भी सिखा जाते है। वक़्त के साथ वो भी बदलते है उड़ते ।अडिग हो जाते है। बरसते है।फैलते है।फिसलते है।पिघलते है। हमारी ज़िन्दगी के कई पन्नों को लुभाते है ये बादल। वक़्त के साथ बदलना दिखाते है ये बादल। YourQuote Baba YourQuote Didi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# बादल। ये बादल बहुत खूबसूरती का एहसास जगा जाते है। किसी की याद दिला
Moheat Pant
#OpenPoetry मेरी फरमाइश पर एक गीत, मुझ पर भी लिख दो ना, ज़ुल्फो में मेरी , रंग सुनहरा भर दो ना, और कर दो मेरी आंखों को किसी झील सा गहरा तुम, अजनबी सी रहती हूं तुमसे मैं, मेरा दर्जा अपनी प्रेयसी का कर दो ना। छिपा कर लिखते थे जो तुम नाम मेरा, वही लुक्का-छिपी एक बार और कर दो ना। तुम्हारे हर गीत में आज भी ढूंढती हूँ मैं नाम मेरा, पहले तो लिखते थे, अब आखिरी बार ही सही, एक दफा और लिख दो ना। सुना है, तुम हो शायर अलग ख्वाब के, उस ख्वाब में एक ख्वाब मेरा भी भर दो ना, तुमसे मिलने को बनाती हूँ झूठे बहाने मैं, प्रेम समझो और वो झूठ पकड़ लो ना। तुम मुझे पाने से पहले कुछ बनना चाहते हो, पाके मुझे, फिर कुछ बन जाओ ना। शर्मीले हो, इज़हार तो तुम करोगे नही, अगर मैं करु तो 'हा' तुम कर दो ना। मेरी फरमाइश पर एक गीत, मुझ पर भी लिख दो ना। #OpenPoetry मेरी फरमाइश पर एक गीत, मुझ पर भी लिख दो ना, ज़ुल्फो में मेरी , रंग सुनहरा भर दो ना, और कर दो मेरी आंखों को
🇮🇳always_smile11_15
"है प्रभू" तुम मिलना मुझे कभी फिर पूछ तुम से हर छन का हिसाब लूंगी, तुझे मेरे अश्रु अच्छे लगते थे तो मुस्कान दी ही क्यूं उसका भी अपना जवाब लूंगी। माना मेरे कर्म इतने भी अच्छे नहीं की हर बार तू मुझ पे मेहरबान होगा। पर कर्मों का हिसाब जब तू ही रखे तो बोल ना कब मुझ पे खुला आसमान होगा। इन सब से दूर तब जा के लगता हैं, तुमसे मिलना मेरा फिक्स होगा। सब जब तू ही करे तो फिर कोई इंसान अच्छे बुरे में क्यूं फसे, जब बोया तुम ने ही, मान बना के बनया क्यूं रे अपमान, फिर तू ही आ के कहेगा तू इंसान नहीं हैं हैवान। तुम मिलना मुझे कभी फिर तुम से अपना एक और हिसाब लूंगी, बुरा नहीं हैं मन मेरा फिर दुनियां के रंगों में बन गई क्यूं मैं बुरी। कहते हैं सब तेरा पता नहीं तू कब कहां होता हैं, मैं कहती हूं तू तो सब के अंदर बैठ सही गलत लुक्का छुप्पी खेला करता है। फिर मन विचलीत है तू समझ मेरी सारी बातों को प्रभु, जब तू ही यहां का मालिक हैं, फिर किराए पे फिर क्यूं रेहता हैं। .......always🌸smile ©🇮🇳always_smile11_15 है प्रभू तुम मिलना मुझे कभी फिर पूछ तुम से हर छन का हिसाब लूंगी, तुझे मेरे अश्रु अच्छे लगते थे तो मुस्कान दी ही क्यूं उसका भी अपना जवाब लूं
Somya Baranwal
डेढ़ फुटिया डेढ़ फुटिया काश, मैं फिर डेढ़ फुटिया बन जाती बैठ दादा जी के साईकिल पर शहर घूमकर मौज उड़ाती काश,मैं फिर.......
Vandana
सुप्रभात,, ऐ सुबह तू मेरी सांसो में महक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझ में चहक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझे आंखों से आकर्षित कर रही है,,,, बादलों से भरे आसमां मे
AB
मेरी " भव्या " भव्या, यही नाम दिया है ना मैंने तुम्हें, क्या तुम जानती हो मैंने तुम्हें यह नाम क्यों दिया,!? क्योंकि तुम भव्य भावना हो भव्य मतलब शानदार
Hemant Rai
मोहल्ले वाला प्यार......उफ्फ! पूरे मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा, तीज़- त्यौहारों, संक्रांति के दिन वो आसमान में पतंगों के और इधर हमारी आंखों के पैंचो का लड़ना और इन सब के साथ, गलियों में जमघट लगाए, खुसफुसाहट करती हुई वे औरते, वैसे तो घर में मुझे निहायत ही आलसी समझा जाता था। पर तुम्हारा मोहल्ले में आने के बाद, मां जब भी दुकान से कुछ मंगाती थी तो मैं ही हर बार सामान लेने के लिए सबसे पहले फ़रार हो लिया करता था, अब मेरे घर का हर एक प्राणी अचंभे में था कि,ये आलसी कब से इतना मेहनती हो गया...दुकान के चार चक्कर लगाने के पीछे तुम थी, की अगर इस बारी तुम्हारा एक भी दीदार हो जाए तो मानो दिन सा बन जाएगा। और तुम्हारा भी यूं कभी गीले कपड़ों को रस्सी पर डाल सुखाना, कभी सर पर चुन्नी औढ़ कर धूप से बचते हुए, आलू के पापड़ को धूप दिखाना, तो कभी छत पर बने उस छोटे से मंदिर में धूप जलाना, इन सब के दौरान छुपते-छुपाते हुए लबो पे मंद-मंद मुस्कुराहट लाते हुए तुम्हारा मुझे और मेरा तुम्हे देखने की इस लुक्का छि्पपी में तुम्हारी मां का अचानक से तुम्हे आवाज़ देकर बुलाना और सर पर चुन्नी डालकर अंतर्मन में मुस्कुराहट और बाहरी चेहरे पर डर लिए हुए तुम्हारा यूं भाग जाना...उफ्फ! रह रहकर याद आता है मुझे, चारो ओर मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं यहां तक जानते थे तुम्हारी वो सहेलियां, मेरे दोस्त, तुम्हारी घर की वो बिल्ली, वो गली के आवारा कुत्ते, जो अक्सर मुझ पर बस भौंका करते थे हां, काटते नहीं थे। तुम्हारे घर की खिड़कियों की वो जालिया, दरवाजे़, छज्जे की वो ग्रिल, वो गहरी रात की शांत चुप्पी, वो दिन का कनो में चुभता वो शौर...! पर अब ये जो तुमने मुझे अब देखना भी बंद कर दिया है,क्या मेरी सूरत बद्दतर हो गई है या तुम्हारी नज़रें कमजो़र। और हां...अब तीज़ त्योहारों पर पतंगे तो उड़ती हैं पैंचे भी लड़ते हैं, पर कब कट जाते हैं! ~हेमंत राय। #MeraShehar मोहल्ले वाला प्यार......उफ्फ! पूरे मोहल्ले में था ये शोर की की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा, तीज़- त्यौहारों, संक्रांति के दिन