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ranjit Kumar rathour
White माँ तेरे बगैर घर खाली लगता है ऐसा कम ही होता की तू नही होती है तेरी तबियत नासाज है तू छोटे के पास है घर मे खुशी के पल है सब नाच गा रहे है लेकिन घर आया निकली मुह से माँ मेरी कमीज तौलिया कहा है ब्रश नही मिल रही फिर याद आया माँ घर पर नही है इसी लिए तो माँ को हा माँ को घर कहते है ©ranjit Kumar rathour माँ को घर कहते है
Anuj Ray
रेत के घर बनाते रहते हैं" तुम्हीं को इश्क़ मेरी जान,मोहब्बत तुम्हीं को कहते हैं। पकाते हैं खिचड़ी अधेड़ धुन में, ज़िन्दगी तुम ही को कहते हैं। डरते हैं ख़्वाब टूट के बह जाए न पानी में, फिर भी रेत के घर बनाते रहते हैं। ©Anuj Ray # रेत के घर बनाते रहते हैं"
Shashi Bhushan Mishra
रेत के घर बनाते रहते हैं, स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं, टूट जाए नहीं कोई सपना, नींद पलकों पे लाते रहते हैं, रहे रौशन सदा अरमान मेरे, एक दीपक जलाके रहते हैं, अंधेरी रात में डर का साया, राम धुन गुनगुनाते रहते हैं, बड़ी दुश्वारियां भरा जीवन, राग भैरव सुनाते रहते हैं, दरीचा-ए-दिल में रहे रौनक, रूठे रहबर मनाते रहते हैं, रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, यहाँ सब आते-जाते रहते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #रेत के घर बनाते रहते हैं#
Ghumnam Gautam
White वह घर जब तक घर-जैसा था,उसने सिर्फ़ वफ़ाएँ कीं पर जब पड़ने लगीं दरारें, उसने घुटने टेक दिए ©Ghumnam Gautam #Couple #वफ़ाएँ #घर #सिर्फ़ #ghumnamgautam
paras Dlonelystar
Men walking on dark street अनकही हुई बातें और तन्हाइयों में गुज़री रातें हल्का सा, कोई सपना, घर बना रहा था दिल जो गया था,फिर लौटा नहीं, कभी वो जिसे,धड़कने बनाकर,ज़िन्दगी, मुस्कुरा रहा था की,उखड़ रही थी साँसें और बोझिल थी आँखें धुंधला सा, कोई अपना, नज़र आ रहा था ©paras Dlonelystar #Emotional #parasd #lovequotes #अपना #घर #ज़िन्दगी
Anuj Ray
बेवफा गर हुए हैं ,तो तेरे अपनों के कारण,कसम तेरे सर की अगर दे दी ना होती। किसी की खुदाई में जुर्रत नहीं थी, तुम्हें छीन लेता बड़ों से मेरी, सारी दुनिया ये रोती। ©Anuj Ray # बेवफा घर हुए हैं
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi