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Neel
ये खाली आँखें और जुबां का तेरी मौन हो जाना, समझ आता है तेरा "अपनों" से अब "कौन" हो जाना। 🍁🍁🍁 ©Neel खाली आँखें 🍁
Sunil Sharma...
#MessageOfTheDay तुम चलो मैं कुछ वक्त ठहर के आता हूं ...।। खाली जेब है मेरी मैं कहां रिश्ते निभाता हूं..।। ©Sunil Sharma... #Messageoftheday खाली जेब है मेरी.....
Anuj Ray
दामन खाली है मेरा" उजड़ा हुआ सा गुलशन है, जब से रूठा हुआ माली है मेरा। धक-धक तो उसके के नाम से करता है, मगर दामन खाली है मेरा। ©Anuj Ray # दामन खाली है मेरा"
Writer @143
White प्यार तुझसे किया है।। किसी और से नहीं,, दिल तुझको दिया है किसी और को नहीं,,, भले ही खाली रह जाए दिल का आशियाना जाएगी।। जो जगह तुमको दी है,, वो किसी और को नही।। ©Writer @143 #Night खाली
Nik JAT
वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT #प्यारे बाबा
vidushi MISHRA
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA बाबा
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh लोग पूछते खाली हो क्या, घर बैठे बदहाली हो क्या, किस्मत ने मुँह फेर लिया है, पढ़ लिख बने मवाली हो क्या, आँसू जहाँ न थमते गम के, रहते संदेशखाली हो क्या, अंधकार से हो वाबस्ता, दीपक बिना दीवाली हो क्या, खिले चाँद सा लगता चेहरा, घर आई खुशहाली हो क्या, खेत में खड़ी हरे वस्त्रों में, तुम कोई हरियाली हो क्या, रोनी सी सूरत क्यों 'गुंजन', तुम भी कोई रुदाली हो क्या, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #खाली हो क्या#