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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसमें बांटके नफरते *दरकारें नहीं चलती//२ *तास्सुब न कर,गर इक सुखनवर बेबाक कहदे के हक बात में हुजूर फटकारें नहीं चलती//३ बेबस चश्म में अश्को के बेशुमार अंबार लिए, ऐसी *आहफुगा की हुकूमत हमारे नही चलती//४ "शमा"ये तख्ते हिंदुस्तान है,इसपे किसी एकतरफा *नाअदल नवाब की दरबारे नही चलती//५ #shsmawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ramnavmi *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ *जनतंत्र*जनता सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसम
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं , तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं , ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें , मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा , तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा , रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
करते हैं तेरी जुस्तजू ख्वाबों ख्याल में, बालो में चांदी आ गई *गुजिश्त साल में//१ वो कतरा रहा है मेरे ऐसे *शबाब से,अब हो गया है*माइल दूजी हुस्नो जमाल में//२ मुझपे तेरी*गर्विदा उल्फत की कुछ तो इनायतें कर देख मैं हो जाऊंगी तुझपे निसार हरहाल में//३ के मेरा जहन देता है इशारा,मगर दिल मानता नहीं, मैं हूं मुंतजिर, मुसलसल तेरे ही माहो साल में//५ ऐ वादा फरामोश मुझसे मुकर जाने वाले, तु डाल गया"शमा"को अब ऐसे *खद्दो खाल में//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #bicycleride करते हैं तेरी जुस्तजू ख्वाबों ख्याल में,बालो में चांदी आ गई *गुजिश्त साल में//१ *बीते साल/गुजरा हुआ वो कतरा रहा है मेरे ऐसे *
Sarfaraj idrishi
उल्फत बदल गई कभी नियत बदल गई खुदगर्ज जब हुए तो फिर सीरत बदल गई अपना कुसूर दूसरों के सर पे डाल कर कुछ लोग सोचते हैं हकीकत बदल गई ©Sarfaraj idrishi #travelogue उल्फत बदल गई कभी नियत बदल गई खुदगर्ज जब हुए तो फिर सीरत बदल गई अपना कुसूर दूसरों के सर पे डाल कर कुछ लोग सोचते हैं हकीकत बदल गई