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Rakesh frnds4ever
White दो जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको सुबह शामों आठों यामों में उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,, और कमाल ये कि जिनके लिए जिंदगी झोंकी ,, सपने मारे,, अरमानों के गले दबाए खून के आसू दिल को पिलाए,,, वो कहे तुम काम न आए किए नहीं कुछ भी काम हमारे,,, रात दिन और दोपहरों भटकते फिरते हैं, हर घर , गांव डगर और शहरों हर घड़ी पल छिन और सारे प्रहरों बरस रहे हो हम पर सारे क्रूर कहरों इधर उधर, यहां वहां जाने भटके कहां कहां,,, सफर ना मंजिल ना हमसफर हमारे ,, किधर जाएं हम कहां जाके ढहरें महीने बीते सालें गुजारी लगता जैसे सदियों से ये जिन्दगी किसी नर्क में ढहरी,,,, ,,,,.rky.......१.......१६२५.,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #दो_जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको #सुबह #शामों आठों यामों में उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,, और क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।। रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार । बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।। काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम । याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।। अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश । सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा
दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा #कविता
read moreJeetal Shah
White *कहाँ पर बोलना है,* *और कहाँ पर बोल जाते हैं,* *जहाँ खामोश रहना है,* *वहाँ मुँह खोल जाते हैं.!!*🌸 *कटा जब शीश सैनिक का,* *तो हम खामोश रहते हैं,* *कटा एक सीन पिक्चर का,* *तो सारे बोल जाते हैं.!!* 🌸 *नयी नस्लों के ये बच्चे,* *जमाने भर की सुनते हैं,* *मगर माँ बाप कुछ बोले,* *तो बच्चे बोल जाते हैं.!!*🌸 *बहुत ऊँची दुकानों में,* *कटाते जेब सब अपनी,* *मगर मज़दूर माँगेगा,* *तो सिक्के बोल जाते हैं.!!*🌸 *अगर मखमल करे गलती,* *तो कोई कुछ नहीँ कहता,* *फटी चादर की गलती हो,* *तो सारे बोल जाते हैं.!!*🌸 *हवाओं की तबाही को,* *सभी चुपचाप सहते हैं,* *चिरागों से हुई गलती,* *तो सारे बोल जाते हैं.!!*🌸 *बनाते फिरते हैं रिश्ते,* *जमाने भर से अक्सर हम,* *मगर घर में जरूरत हो,* *तो रिश्ते भूल जाते हैं.!!*🌸 *कहाँ पर बोलना है,* *और कहाँ पर बोल जाते हैं,* *जहाँ खामोश रहना है,* *उत्तम वहाँ मुँह खोल जाते हैं.!!*🌸 💐🌷 ©Jeetal Shah #life_quotes *कहाँ पर बोलना है,* *और कहाँ पर बोल जाते हैं,* *जहाँ खामोश रहना है,* *वहाँ मुँह खोल जाते हैं.!!
#life_quotes *कहाँ पर बोलना है,* *और कहाँ पर बोल जाते हैं,* *जहाँ खामोश रहना है,* *वहाँ मुँह खोल जाते हैं.!!
read moreVijay Vidrohi
सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई और कुछ लोग कहते फिरते पेड़ लगाओ यहां लाखों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं इनको तो रोक लो #SAD
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गोपी छन्द :- बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गोपी छन्द :- बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।
गोपी छन्द :- बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । #कविता
read moreShashi Bhushan Mishra
White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra #बनते फिरते लोग सयाने#
Neelam Modanwal ..
बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है… बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और ‘गजनी’ लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो…. कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो,और शाहरुख के ‘डॉन’ लुक के दीवाने बने फिरते हो…. किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने लगती है..✍️💯👌 ©Neelam Modanwal बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि
बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि #विचार
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