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Stories related to हैदर अली जुगनू कभी

RAVI PRAKASH

#GoodMorning जिंदगी मे कभी कभी बहोत

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White जिंदगी मे कभी कभी बहोत कुछ एक साथ बिखर जाता है रिश्ते भी, सपने भी, और कुछ अपने भी...

©RAVI PRAKASH #GoodMorning जिंदगी मे कभी कभी बहोत

Ghumnam Gautam

White 
किसलिए मैं  कहूँ अँधेरा है
एक जुगनू जो दोस्त मेरा है

 जो पूछे कि है ये किसका दिल
मैं कहूँ यार सिर्फ़ तेरा है

गोपियाँ आईं हैं शिक़ायत को
कृष्ण ने लूटा फिर महेरा है


दिन से कैसे भला मैं इश्क़ करूँ
चाँद का मेरे ये लुटेरा है

वक़्त ने आज फिर तसल्ली से
आपकी याद को उकेरा है

याद जिन रास्तों से आएगी 
दर्द हमने वहीं बिखेरा है

बस वही आँखें ख़ूबसूरत हैं
जिनमें इक ख़्वाब का बसेरा है

©Ghumnam Gautam #Sad_Status #ghumnamgautam 
#अँधेरा 
#जुगनू

मिहिर

White जुगनू

राह वो ही दे सके
खुद में जो यकीं करे
राह खुद जो चुन रहा
ख्वाब खुद से बुन रहा
खुद से खुद ही जो जगे
क्यों किसी से वो डरें
जो भी जैसी बात हो
काली लंबी रात हो
जिनमें रोशनी पले
रोशनी जो खुद करे
रात जैसी हो भले
अंधेरे से वो क्यों डरे !!

©मिहिर #जुगनू

BANDHETIYA OFFICIAL

#GoodMorning #प्यार में कभी कभी।

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White ऐसा क्यों लगता है,
आखिरी ये झगड़ा हो,
और मैं मर जाऊं।
सामना तेरा फिर क्या,
तड़पता तुझको छोड़ जाऊं,
यूं ही तो दूर जाऊं,
वापस ना आऊं।

©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodMorning #प्यार में कभी कभी।

Ghumnam Gautam

White टूटकर चाहा जिसे उसको बताया ही नहीं
ग़ैर उससे होके जाना बुज़दिली क्या चीज़ है

हम अँधेरों में सिमटकर घुट के मर जाते मगर
जुगनुओं ने ये बताया― रोशनी क्या चीज़ है

©Ghumnam Gautam #sad_quotes 
#जुगनू 
#रोशनी 
#नहीं 
#ग़ैर
#ghumnamgautam

लेखक 01Chauhan1

कभी कभी

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कभी-कभी आंखों से आसूं आ जाता है 
जिसे भुलाना चाहा वो याद आ जाता है 
दिल से उसे भुला चुके ख्याल उस का जाता है 
दिमाग कहता उसे याद करले दिल का क्या जाता है

©लेखक       01Chauhan1 कभी कभी

theABHAYSINGH_BIPIN

#fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।

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वो हक जताती है कभी-कभी

वो हक जताती है कभी-कभी,
प्यार जताती है कभी-कभी।
डूब जाओगे गहरी आँखों में,
पलके झुकाती है कभी-कभी।

मासूमियत से भर जाती नज़रें,
आँखें झुकाती है कभी-कभी।
जज़्बातों को बयां किए बिना,
बहुत कुछ कह जाती है कभी-कभी।

कितनी गर्मजोशी है अदाओं में,
वो बिजलियाँ गिराती है कभी-कभी।
इशारों में कह जाती है बातें,
पास बुलाती है कभी-कभी।

वैसे गुस्से में लाल हो जाती,
शरमाती भी है कभी-कभी।
बातों में अपनी उलझा कर,
दिल चुराती है कभी-कभी।

इश्क़ का आलम कुछ ऐसा,
कि पास बुलाती है कभी-कभी।
दिल के करीब रहकर भी,
फासले बढ़ा जाती है कभी-कभी।

ख्वाबों में छुपा लेती है खुद को,
हकीकत में दिख जाती है कभी-कभी।
साज़िश सी लगती है ये मोहब्बत,
हद से गुजर जाती है कभी-कभी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #fog 

वो हक जताती है कभी-कभी

वो हक जताती है कभी-कभी,
प्यार जताती है कभी-कभी।
डूब जाओगे गहरी आँखों में,
पलके झुकाती है कभी-कभी।

हिमांशु Kulshreshtha

सोचता हूँ कभी कभी....

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White सोचता हूँ कभी कभी
क्या तुम मेरा इश्क़ थीं
या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत
पसन्द करना किसी को
मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना
ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था
तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है
तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में
एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा
क्यों होता है ऐसा…
हर बार बेवफ़ा समझ कर
सोचता हूँ तुम से दूर जाने को
तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है
मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो
कैसे हो तुम, जो कहा करते थे
आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे
तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम
मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर
गूंजने लगती है मेरे भीतर
धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है
मानो दिल फटने को हो
हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में
एक शोर, जो डराने लगता है मुझे
हर बार, हर रात मुझे
जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे
एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को
इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक
इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म

©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....

Mahesh Patel

सहेली... कभी-कभी..लाला..

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Unsplash सहेली ....
कभी-कभी हम यूं ही मुस्कुराया करते...
कभी-कभी तुम्हारी बातों को यूं ही सुन लिया करते हैं..
कभी-कभी समझ में भी नहीं आता कि हम तुमसे यूं ही मिला करते हैं..
लाला...

©Mahesh Patel सहेली... कभी-कभी..लाला..

हिमांशु Kulshreshtha

कभी कभी...

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White कभी कभी 

तलब में इज़ाफ़ा भी 

कर देती हैं महरूमियाँ 

एहसास प्यास का 

बढ़ जाता है सहरा देख कर

©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
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