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कमलेश

#Meri ex का वर्गीकरण 👸🧟‍♀️ #शायरी

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हर आशिकों कि आशक़ी उसके लिए अफ़सरा होती हैं
हरेक टूटे आशिक़ों कि नफ़रत भी उसकी डायन( EX) होती हैं.. 
- कमलेश  #meri ex का वर्गीकरण 👸🧟‍♀️

Jitendra Kumar Som

#KapilSharma बुद्धि का फल #प्रेरक

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Vivek

#बुद्धि का वरदान दो मां #कविता

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Himaani

# बुद्धि का सही उपयोग करना #विचार

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Balkeshwar shastri

बुद्धि का कभी नहीं करना चाहिए #विचार

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Swati

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Ek villain

#प्रभु बुद्धि संविधान मजबूत लोकतंत्र का आधार #afterglow #Society

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वर्ष 1947 में देश के विभाजन के पश्चात भारत और पाकिस्तान का राष्ट्रीय के रूप में होता है एक साथ हुआ था भारत के संविधान सभा के जरिए एक अंतरिम सरकार का गठन कर लोकतंत्र की नींव रखी गई थी 26 नवंबर 1949 को ही भारत संविधान का अधिनियम कब दिया गया 26 जनवरी 1950 से प्रभावी बना दिया गया ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के द्वारा स्थाई संसदीय लोकतंत्र स्थापित किया जा सके कानून के दायरे में भारतीय लोकतंत्र ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को सबसे अधिक महत्व दिया पाकिस्तान का

©Ek villain #प्रभु बुद्धि संविधान मजबूत लोकतंत्र का आधार

#afterglow

kishan mahant

#रावण बुद्धि

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अगर मैं रावण होता तो रावण अपने बहन कि बेजती का बदला ले रहे थे और बदला सीता से नहीं राम से ले रहे थे कियो की रावण जानता था कि राम सीता से कितना प्रेम करते थे तो रावण ने सीता को उठा कर ले गया और अशोक वाटिका में रखेथे और कुछ भी नहीं किया 
चाहता तो कुछ भी कर सकता था पर
किया नहीं कियोकि राम से युध करना
चाहते थे रावण रावण बहन की बेजती
सहन नहीं कर पा रहे थे और कुछ
नहीं 



 #रावण बुद्धि

manoj kumar jha"Manu"

तामसी बुद्धि

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हे अर्जुन! 
जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी "यह धर्म है"ऐसा मान लेती है 
तथा संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है वह बुद्धि तामसी है।।
श्रीमद्भगवतगीता १८/३२ तामसी बुद्धि

HP

आत्म बुद्धि

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“वह पापी है दुष्ट नराधम, उसके पास न जाना ।

उसे देखना छूना मानो, शिर पर पाप चढ़ाना ॥”

“भाई सच कहते हो, लेकिन, पावन किसका तन है?

रक्त माँस मल मूत्र आदि से, रहित कौन सा जन है?

आत्मा तो सब की समान है, सुन्दर शुचि अविनाशी ।

सब में सदा समान बिराजें, शम् कर घंट घटवासी।”

“कर्म बुरे करता है” लेकिन, ‘गहन कर्म गति’ भाई ।

क्या अच्छा क्या बुरा न परिभाषा इसकी हो पाई ॥”

मानव की अपूर्ण प्रज्ञा-क्या, बेचारी ने जाना ।

कुछ आसान नहीं है जग में, ‘बुरा भला’ बतलाना ॥

प्रभु के इस पावन प्राँगण में, किसको दोष लगाऊं

उसकी पुण्य पूत कृतियों को, कैसे बुरा बताऊ॥

किससे द्वेष करूं? किससे बदला लूँ? किसकों मारूं?

किसे विपक्षी समझूँ किसकी सेना को संहारूं? आत्म बुद्धि
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