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Archana pandey
अहो! प्रियम्वद बोलरहे या मधु बरसाते? कहो मिठास वचन में इतनी कहाँ से लाते? हम बोलें तो वृश्चिक भी घबरा जाते हैं...., आप कहें तो सुमन गन्ध शर्मा जाते हैं....अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey सुमन गन्ध शर्मा जाते हैं.... #roseday
Deepak Shah (Sw. Atmo Deep)
kunwar siddhant Awasthi
कही पुष्पो में नव पल्लव कही पर गन्ध हो जाये कन्हइया और राधा सा वही अनुबंध हो जाये मैं गाऊं हर निशा हरपल कही तेरा सितम साजन वो सारे अर्थ मिलकर के नया सा छंद हो जाये कुंवर कही पुष्पो में नव पल्लव कही पर गन्ध हो जाये कन्हइया और राधा सा वही अनुबंध हो जाये मैं गाऊं हर निशा हरपल कही तेरा सितम साजन वो सारे अर्थ मिलक
Sapana Mishra
कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता। फूल और काँटो का जन्मों का नाता।। उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता। एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता। लेकिन प्रकृति में बिल्कुल विपरीत हैं। एक खुशी देता दूजा दर्द दे जाता।। एक कोमल गन्ध युक्त दूसरा कठोर तीक्ष्ण। एक प्रेम का प्रतीक दूजा वेदना विधाता। एक स्वयं मिटकर सुगन्ध है बिखेरता। दूजा पोर-पोर से है कहर बरपाता। जीवन में सुख दु:ख ही फूल और काँटे है। ब्यक्ति के विवेक ने ही इनको है बाँटा। हर कोई फूल चाहे काँटे न चाहे कोई। किन्तु साथ नहीं छोडते हैँ ये सहोदर भ्राता।। सपना मिश्रा कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता। फूल और काँटो का जन्मों का नाता।। उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता। एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता। लेकिन प्रकृ
Bharat Bhushan pathak
चंडिका छंद :-यह एक सममात्रिक छंद है जिसका विधान १३ मात्राएं पदांत रा ज भा (२१२) अनिवार्य है। हिन्दी बिन्दी हिन्द की। प्राण सभी ये छंद की।। मधुर यही मकरंद है। अति दिव्य ये गन्ध है।।१ देती बल यह भाव को। भर दे सब यह घाव को।। यही तो अमृत धार है। करे हिन्द शृंगार है।।२ सभी ज्ञान की खान है। हिन्दी अति गुणवान है।। कवियों की यह काव्य है। यही भाषा अति श्लाघ्य है।।३ भाती सबके कर्ण है। सुन्दर इसका वर्ण है।। गौर नहीं ना श्याम है। जिसका हिन्दी नाम है।। ४ ©Bharat Bhushan pathak #chandikachhand चंडिका छंद :-यह एक सममात्रिक छंद है जिसका विधान १३ मात्राएं पदांत रा ज भा (२१२) अनिवार्य है। हिन्दी बिन्दी हिन्द की। प्रा
Rakesh Kumar Dogra
Preeti Karn
मैं जनती हूं कविताएं किसी अन्य को जनक के अधिकार के आधिपत्य से मुक्त रखती हूं। सहधर्मिता की नियमावली का अनुपालन नहीं होता इस सृजन में। मैंने अपनी अनुभूतियों की हठधर्मिता के निर्वहन मात्र से अपने हृदय गर्भ में बीज आरोपित किए हैं जो बसंत और घहराते काले मेघ सदृश पुष्पधन्वा की धरोहर हैं। कुसुम कचनार पाटली केतकी से झड़ते रस गन्ध से पोषित स्वाति उत्तराआषाढ नक्षत्रों की बूंदों से अलंकृत मलय पवन के रेशे से बुने गए कौशेय वसन सुसज्जित मैं आसन्नप्रसवा जनती हूं कविताएं! प्रीति #जननी#कविता #गर्भ ##प्रसव #yqhindi #yqhindiquotes पुष्पधन्वा : कामदेव पाटली: गुलाब , केतकी: केवड़ा कौशेय : रेशमी आसन्नप्रसवा : जिसे
Kulbhushan Arora
1नवंबर 1984 मेरे जीवन का सबसे काला दिन असहाय से हम सब देखते रह गए लोगों की जीवित जलते 1 नवंबर, 1984 स्तब्ध शहर के भीतर सेबंद दरवाज़े, बंद खिड़कियों से झांकती आंखें, दहशत की गन्ध,फैली दुर्गन्ध सी, खुले होंटों मेंअटकी खामोश आवाज
Divyanshu Pathak
मेरा अपना निजी मत है कि--- शब्द रूप रस गन्ध और स्पर्श जन्म के साथ ही हमें मिलते।यह जीवन के गुण है।शब्द जो कि सबसे पहले आता है और हम उन्हें शब्दशक्ति के रूप में समझते भ