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Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
#OpenPoetry मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां, गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै, मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा, मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां , गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै,
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मुझे नहीं आती हैं उड़ती पतंगों सी चालाकियां, गले मिलकर गला काटू वो मांझा नहीं हूँ मैं मुझे नहीं आती हैं उड़ती पतंगों सी चालाकियां, गले मिलकर गला काटूं.. वो मांझा नहीं हूँ मै।
Brij Bihari Shukla
*मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां,* *गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै..!* *मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां,* *गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै..!*
INTAZAM MURTAZA KHAN
Mr RN SINGH
Radhe bhai
promise day quotes in Hindi *मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां ।।* *गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै ।।* ✍️Dinesh Pichhode *मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां ।।* *गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै ।।* 🌅🙏🏻 good morning ji 🙏🏻🌅 Tu Jane naa:
Anurag Vishwakarma
O sweetheart how should I spend the nights काटूं कैसे राते ओ सावरे? please listen i can't live without you. जिया नहीं जाता सुन बाबरे!! 🏃 ⬅️❤️➡️ ©Anurag Vishwakarma O sweetheart how should I spend the nights काटूं कैसे राते ओ सावरे? please listen i can't live without you. जिया नहीं जाता सुन बाबरे!! 🏃 ⬅️❤
Hasko Jaggara
तू छोड़ जाएगी, मैं नस नहीं काटूंगा तू करीब तो आएगी, हाथ तक ना लगाऊंगा मेरी मौत पर रोएंगे सब, पर एक तू नहीं आएगी लिखूंगा खत हजार, मगर तुझे भेजूंगा एक नहीं रहूंगा तेरा ही, फिर भी तेरा हो ना पाऊंगा -हसको जगारा ©Hasko Jaggara तू छोड़ जाएगी, मैं नस नहीं काटूंगा तू करीब तो आएगी, हाथ तक ना लगाऊंगा मेरी मौत पर रोएंगे सब, पर एक तू नहीं आएगी लिखूंगा खत हजार, मगर तुझे भ
PRASHANT KANOJIA
सुसि ग़ाफ़िल
डर के सिवाय कुछ नहीं है मन में है तन्हा आज कल कलम मेरी शब्दों के लिखने से कौन किसका सब लेते दूसरे के सुख की तलाशी लिख नहीं पाता मैं कानों में पड़ी आवाज चेहरे पर आसन लिए बैठी है उदासी हर दिन एक ही शिकवा रहता है मगर हम दोनों ना मिले तो क्या हो जाएगी फांसी जिंदगी के अगले पल मैं कैसे काटूंगा तुम्हारे चेहरे पर भी क्या लौट आएगी हंसी लगता है आसान है अब सबकी सुनना कुछ समय बाद हो जाएगी जिंदगी की माटी सिर्फ एक ही है मेरी जिंदगी की चाहत सिर्फ एक ही रहे हमारे बुढ़ापे की लाठी | डर के सिवाय कुछ नहीं है मन में है तन्हा आज कल कलम मेरी शब्दों के लिखने से कौन किसका सब लेते दूसरे के सुख की तलाशी लिख नहीं पाता कानों