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somnath gawade

ऑनलाईन तंत्रज्ञानाच्या
'सुपरफास्ट' काळात सुद्धा 
शासकीय वेबसाईट 
'कासवगतीचं' वैशिष्ट्य
सोडायला तयार नाही.
😀😆😊
 #शासकीय

somnath gawade

#शासकीय कर्मचारी

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कर्मचाऱ्यांचा
शासकीय वेळा
या पाळण्यापेक्षा
टाळण्याकडेच
जास्त कल असतो.
😂🤣😃 #शासकीय कर्मचारी

Vishal Chaudhary

अर्द्ध प्रेम #कविता

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मिलती नहीं अब वो हीर जहां में 
वो रांझे कहाँ से लाऊं मैं 
नहीं प्रीत सोहनी के जैसी
माहिवाल कैसे दिखलाऊं मैं।
अब मतलब की है प्रीत यहाँ 
मतलब की सब यारी हैं 
अब मतलब से बनते रिश्ते 
मतलब की रिश्तेदारी हैं 
जाता है कौन साथ यहाँ मृत्यु तक
किसका सावित्री सा प्रेम बताऊं मैं। 
मिलती नहीं अब वो हीर ••••••
प्रेम की खातिर दुनिया से वो लङ जाते थे 
छोडेंगे ना साथ कभी कहकर वो भिङ जाते थे 
अब तो बस इन बातों के शोर सुनाई देते हैं 
बिना लङे ही हारे जो वो जोर दिखाई देते हैं 
अब ना सस्सी सा प्रेम यहाँ 
फिर ताकत पन्नू सी कहाँ से लाऊं मैं। 
मिलती नहीं अब वो हीर•••••••
खोदी किसी ने नहर दूध की
कोई राजा से आम हुआ
किसी ने लङते लङते आंख मूंद ली
कोई सब जग में बदनाम हुआ 
अब कहाँ तङप वो लीलो वाली
किसका जिगर चमन सा दिखाऊं मैं। 
 मिलती नहीं  अब हीर जहां में 
वो रांझे कहाँ से लाऊ मैं। अर्द्ध प्रेम

SUMIT

सब अर्द्ध निर्मित है #MyTopics #कविता

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उ.सु

शासकीय निर्णयाचा सन्मान करा #stopcorona #covid19 #Indian #Talk

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Srk writes

#पत्र,, प्रेम पत्र

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निशब्द देव

#पत्र

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Shubhada

पत्र

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पुन्हा एकदा भग्न तळ्याशी 
पाऊल हे अवघडते 
एकांतीचा सूर गवसण्या 
शब्द विणावे म्हणते 

मर्मसुखाचे लेवून अत्तर 
उत्तर का गहिवरते 
अभिलाषेच्या ओंजळीतली 
शब्द प्रभा थरथरते 

चांदणंवाटा शोधत जेव्हा 
प्रतिमेत कला बावरते 
ती प्रतिमा घेऊन ऊराशी 
निनावी पत्र लिहावे म्हणते 

शुभदा© पत्र

पूर्वार्थ

पत्र प्रेम भरा जब मैने उसे लिखा,
उस कागज में उनका ही चेहरा दिखा,
फिर याद आया उनका फंसाना,
वो भूल गए हमें याद है वो मौसम सुहाना,
लिखा की तुम बिन अधूरे है हम,
तुम्हारी ही याद हमें हर रोज है आती,
कभी तो जागते रहते है रातों को करवटें बदलकर,
कभी आंखों में ही कट जाती है रातें,
कभी दिल बहुत उदास होता है,
जब तुम्हारा ही अहसास होता है,
लाख रहें मेरे पास हरदम खोए रहते है,
ये दिल तो सिर्फ़ तुम्हारे ही पास होता है,
फूल खिलते है रोज बिन तेरे क्या सुगंध,
तुम्हारे लिए ही शायद है उनमें सुगंध,
ऋतु बदली मौसम बदला हम खुद न बदलपाएं,
ये प्रेम की रीत है चलो हम ही इसे निभाएं,
खुश तो हो तुम भी हमारा है क्या,
रहना नित हंसते हुए इससे अच्छा क्या,
हंसी तुम्हारी रोते को हंसा देती है,
दुखियों के सब दर्द मिटा देती है,
आंखे तो सच में बहुत ही प्यारी है,
ये सिर्फ़ प्रेम बरसाने बाली है,
चेहरा दिल को बहुत शुकून देता है,
शून्य को भी शिखर कर देता है,
पत्र नही ये दिल के जज्बात है,
इस दिल के सबसे ख़ास ही आप है,,

©पूर्वार्थ #पत्र

arvind bhanwra

पत्र ।

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हे परमार्थ, 
ये पत्र नही, गुजारिश है, 
आज आपसे करनी एक गुजारिश है, 
ज्यों द्वेता,त्रेता युग मे आए थे, 
पाप, जुल्म को किया था खत्म, 
कलयुग पुकारे इक बार फिर आओ, 
धरा पर पाप बढ़ गया, 
ईंसानो पर करो रहम।
arvind bhanwra पत्र ।
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