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Bhavesh Kumar
सितम जो तुने किए हैं मुझपें हर मोड़ पे सबको सुनायेंगे.. गलियाँ-कुची और चौराहे तेरे फरेब के तर्रन्नूम गाएंगे.. ©Rudra 😀😀दोस्तों जो मन में हो बस लिख दो.. सितम जो तुने किए हैं मुझपें हर मोड़ पे सबको सुनायेंगे.. गलियाँ-कुची और चौराहे तेरे फरेब के तर्रन्नूम गाए
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
मथली दल ती लानी है दीबन उतका तानी है हात लदाओदे तो, दल दाएदी बाहल नितालोदे तो, मल दाएदी तरंत वाली होदी तो, तात थाएदी पानी में दालोदे तो, तैल दाएदी उतको कुची मिल दाएदी उतकी मुतिबतों ती तुत्ति हो दाएदी _पताई हो तुत्ति ती by लोईत तपलिलाल तोरी-तोरी! _बधाई हो छुट्टी की by रोहित थपलियाल मथली दल की लानी है दीबन उतका तानी है हात लदाओदे तो, दल दाएदी बाहल नितालोदे तो, मल दाएदी तरंत वाली होदी तो, तात थाएदी पानी में दालोदे तो, तैल
Storyteller Kumar Shantnu
Chirag Vashishtha
जिनको नाज़ों से पाला था ,उनकी खातिर घबराता हूँ, हर दफ़्तर हर चौराहों पर , फ़रियादें लेकर जाता हूँ, कभी रोता हूँ चिल्लाता हूँ,मैं दर्द को सहता जाता हूँ, पर मेरी उन चीख़ों पर भी , वे चुप्पी साधे बैठे हैं , आँखों से सब दिखता है पर , वे पट्टी बाँधे बैठे हैं , (संपूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ें ) #yqbaba #yqdidi #coronavirus #life #love #alone #diary क्या हमने ऐसा सोचा था , कि ऐसा दिन भी आएगा आंखों में सपना होगा पर ,आंशू बनके बह जाए
Nidhi Agrawal
Take care 💛💛 Dedicating a #testimonial to Mukul Kumar Tiwari 🐣♥️🍃 प्यारे मित्र कोशिश कर रही हूं तुम्हारे चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान लाने की ,बाकी तो
Namit Raturi
"पेट्रोल" स्कूटर लाते हुए उसने कुछ बची कुची पेट्रोल की छींटों की आवाज से आंकलन लगा लिया था कि पेट्रोल टैंक में इतना पेट्रोल तो है कि पेट्रोल पंप में जा कर स्कूटर की भूख मिटा सके । वो उसी चप्पल मे स्कूटर को किक करके चल पड़ा पेट्रोल पंप की और,जेब मे ज्यादा पैसे नही थे वही एक 500 का नोट था जिससे पेट्रोल भरवाना था,फिर एक महीने बाद युहीं स्कूटर हिला कर पेट्रोल मापने के बाद वो फिर पेट्रोल भराने निकलेगा । पूरी कहानी कैप्शन में पढ़े ।। स्कूटर हिलाते हुए उसने कुछ बची कुची पेट्रोल की छींटों की आवाज से आंकलन लगा लिया था कि पेट्रोल टैंक में इतना पेट्रोल तो है कि पेट्रोल पंप में
AB
. . . . यह जो मेरे पुरे शरीर पर कहीं कहीं पड़े काले - फ़फोले से दाग - धब्बे देख रहे हो ना असल में यह ना गड्डे हैं तुम इन्हे " क्रेटर " भी कह सकते
Nazar Biswas
मोहे पुष्प रंगी भाए, मोहे खिलने दो ना इन सा, क्यों मुरझाई मैं पतझड़ सी? क्यों हाल मेरा ऐसा? मोहे झाँझरिया ला दो ना, क्यों पाँव मेरा सूना? क्यों रोके ये दहलीज़े? क्यों दरवज्जे पर साँकलिया? उस छोर सरोवर के मोहे बुलावे चाँदनी रतियाँ, क्यों चाँद मैं न देखूँ? क्यों तारों से न हो बतियाँ? क्यों सब ही नैन चुराए? मैंने क्या की है गलतियाँ? क्यों क़ैद होकर बैठूंँ? क्यों बहाऊँ मैं ये अँखियाँ? ये इतनी उदासी क्यों है? है किसकी ये सिसकियाँ? मोहे मिलने क्यों ना आए? क्यों रूठी बैठी सखियाँ? हैं वस्त्र मेरे फाड़े, गई लूटी मेरी अस्मिता, क्या दोष मेरा इसमें? क्यों मुझसे ऐसी घृणा? क्या जीवन ही ये सारा मैं काटूँगी ले हताशा? यूँ मुँह न फेरो मुझसे, कुछ ख़्याल करो ज़रा सा? क्यों पांचाली को बचाने तू आए अब ना कन्हैय्या? ये जीवन भारी लागे, मोहे डंसती ये पाबंदियाँ। बलात्कार के बाद अब लड़कियों को ज़िंदा छोड़ देना भी दरिंदो को जैसे नागँवारा हो गया है। इज़्ज़त लूटने के बाद ज़िन्दगी भी छीन लेते हैं हैवान। लेकिन
Namit Raturi
इंसान की नीयत मे ही भेदभाव है,उसे समंदर की बूंदे पांव को छूती बहुत अच्छी लगती है, पर जमीन पे पडे बारिश के पानी से वो खुद को कूद कूद के बचाता है, मतलब पानी पानी मे फर्क । कहानी कैप्शन मे पढें ।। इंसान की नीयत मे ही भेदभाव है,उसे समंदर की बूंदे पांव को छूती बहुत अच्छी लगती है, पर जमीन पे पडे बारिश के पानी से वो खुद को कूद कूद के बचाता
Sachin Ken
उसे पहली बार साड़ी में देख नज़र उसपर जा अटकी और मैं बस एकटक उसे देखता रहा उसे आज अरसे बाद देख रहा था,जब उसे आज साड़ी में देखा तो याद आयी वो कॉल