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Ravendra
Kiran kumari Patel
Tu hi bata...! Kaise roklun khudko tumse pyaar karne se Tum kismat mein Na sahi Par Dil mein toh ho... ©Kiran kumari Patel #WoNazar Radhey Ray poonam atrey Vishwajeet kumar samir SAUD ALAM Satyajeet Roy Nîkîtã Guptā Dinesh Kashyap Raj Guru Ayan Guin Monika
Kiran kumari Patel
Zindagi teri - Maut meri Sukoon tera - Har pareshani meri Khushiyan Teri - Dukh dard mera Sara ka sara - sab kuch tumhara Lekin sirf - Tum mere❣️ ©Kiran kumari Patel #Sukha @Dil_E_Nadan Raj Guru Let_the_word_comes_from_soul kuch pal zindagi ke Ashutosh Mishra Nitish Tiwary gaTTubaba Dikesh Kanani (Vv
प्रताप गिल 'अक्स '
Kiran kumari Patel
Khwahish-e-zindagi Bas itni si hai hamari Ki Tera saath ho aur Zindagi kabhi khatam na ho ©Kiran kumari Patel Khwahish-e-zindagi Bas itni si hai hamari Ki Tera saath ho aur Zindagi kabhi khatam na ho . .
Kiran kumari Patel
Kuch rishte waqt par baat na hone ki wajah se bhi khatam ho jate hai, isliye kuch bhi karo jitna busy rehna hai raho, par uska bhi khayal rakho jo tumhare call aur message ka har waqt intezaar karta ho..!! ©Kiran kumari Patel ❣️ karan.mittal (devraj) Nandani patel The Janu Show Zero_ Artimaurya poonam atrey एक अजनबी शिवोम उपाध्याय AD Grk #kukku2004 Satyajeet R
Kiran kumari Patel
N S Yadav GoldMine
आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ :- 💠 भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ हैं तथा सबसे बड़ा रहस्य हैं मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ जिनके हाथ आधे बने हुए हैं तथा पैर नही है । कहते हैं कि यह मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात उनके हृदय से बनी है। आज हम इसी कथा के बारे में जानेंगे तथा इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के हृदय का पुरी पहुंचना :- 💠 जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गयी तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुंचा। राजा इंद्रद्युम्न को मिला भगवान श्रीकृष्ण का हृदय :- 💠 मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लट्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लट्ठा लेकर मंदिर में आ गए। उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नही हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथोड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए। शिल्पकार विश्वकर्मा आये मूर्ति बनाने :- 💠 तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आये तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नही आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया। भगवान जगन्नाथ की बनी आधी अधूरी मूर्तियाँ :- 💠 भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमे एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथोड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नही आयी। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कही वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुंचे। 💠 वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहां से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमे तीनों के पैर नही थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नही बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे। तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey}
Ravendra