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Arjun Singh
एक लड़की थी, हद से ज्यादा प्यार करती थी, वादा कम कसमें ज्यादा खाती थी, मेरा दिल तो नादान था, समझ में न आया, जनम-जनम साथ देने के लिए की बीच राह पे छोड़ने के लिए ©Arjun Singh एक लड़की थी, 19/05/2024 @arjunsingh91125
i_m_charlie...
White जब तक समझ नही थी तब तक ऊपरवाले से कुछ ना कुछ मांगते रहते थे, याद भी नही की वो देता भी था या नहीं, पर जब से सब समझ आ गया है तब से ऊपरवाले से बस एक ही चीज मांगते रहते है, मौत...😑 ©i_m_charlie... #good_night बस यही आखरी ख्वाहिश है।
NRKK . Narendra
White आपको देखा कुछ इस तरह गुजरे जमाने से मोहब्बत कर बैठा, जो पाना था मैंने वो तो मिला नहीं जो मेरे पास था वो भी को बैठा। ©NRKK . Narendra #ख्वाहिश
KUNWA SAY
White दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, उस वक़्त बिताने की कला बस एक है। ©KUNWA SAY #nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
श्वेता शर्मा
जीवन में भौतिक ख़्वाहिश कम और जीने की ख़्वाहिश ज्यादा होनी चाहिए ©श्वेता शर्मा #ख्वाहिश
Rajnish Shrivastava
मुकम्मल न होगी ख्वाहिश ये मालूम था हमें । फिर भी मुराद मांगने हम तेरे दर पर चले आए ।। ©Rajnish Shrivastava #ख्वाहिश
Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ."
Night quotes "आखिरी ख्वाहिश" जो इंसान अपना "शौक़" भी पूरा नहीं कर सकता वो अपनों की आखिरी "ख्वाहिश" ख़ाक पूरा करेगा ©Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ." #ख्वाहिश
Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ."
Village Life ["ख्वाहिश"] इंसान सिर्फ अपना शौक़ पूरा कर सकता है ... कभी अपनी ख्वाहिश नहीं ©Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ." #villagelife #ख्वाहिश
D.R. divya (Deepa)
इन ख़्वाहिशों की तपिश में कब तक जलता रहेगा, ये कभी ख़त्म न होंगी और तू हरदम मरता रहेगा, ए–इंसॉं यूं न अपने भीतर ईप्साएं जगाता चल, ये न कभी पूर्ण होंगी, तू हरदम इनको ख़त्म करता चल।। क्षण–प्रतिक्षण ये उभरती रहेंगी, तू इन्हें कदापि न उभरने दिया कर। ये घेर लेंगी तुझे चहुंओर से, तू बिना बेबसी के, इन्हें अनदेखा कर और खुशी के गीत गाते हुए आगे बढ़ता चला चल।। ©D.R. divya (Deepa) #Life #ख्वाहिश #Human #SAD
shailja ydv
आज समझ आया की व्यस्तता ही जीवन है, आराम बस एक रोग है, ज़ब आराम ज्यादा हो जाता है तब मन और शरीर का नाश पहले होने लगता है। ग़र जीवन में सुबह की नित्य- क्रिया, रसोईघर की क्रिया, और बस आराम हो, तो एक घुटन होने लगती है, एक ही काम से और रोज के आराम से, मन भागने लगता है, एक ही वातावरण के आवरण से। अजीब सी बेचैनी मन को घेरने लगती है, न जाने कितनी बीती बातें, कितने सपने सब आँखों के सामने से नाचते -भागते दिखते हैं। इसलिए हे मन, हे मानुष, हे नारी तू व्यस्त रह, मस्त रह, कर्मठ रह, भागता रह, नाचता रह, अपने सपने, अपनी उड़ान के पीछे उड़ता रह। क्यों आराम बस एक रोग है। ©shailja ydv #relaxation आराम बस एक रोग है