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New mahabharat 6 december 2013 Quotes, Status, Photo, Video

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-Banjara ❣️

#december

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Unsplash Dekho Hna Kitna Ajib Hai..
Yeh december bhi..
itni sard raato mai bhi...
Aksr juda hone k baad..
aik naya saal thma jatta hai..
hatho mai..
January ko mila jata haii...
in sard raato mai... 🥺

©-Banjara ❣️ #december

Deepak Kumar 'Deep'

#december

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दिसम्बर  का  महीना 
साल के आखिर में आता है, 
जब ये आता है
ग्यारह महीने की, 
कभी ना भूलने वाली
यादें  देकर जाता है..

©Deepak Kumar 'Deep' #december

Deepak Kumar 'Deep'

#december

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दिसंबर का महीना  आखिर में आता है, 
जब आता है
ग्यारह महीने की, 
कभी ना भूलने वाली
यादें  देकर जाता है..

©Deepak Kumar 'Deep' #december

Deepak Kumar 'Deep'

#december

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december ka mahina  आखिर में आता है जब आता है
ग्यारह महीने का 
ग़म देकर जाता है

©Deepak Kumar 'Deep' #december

Zed Pay

6 December

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White 6 December 
Baba Sahab Bhim Rao Ambedkar 
Punyatithi

©Zed Pay 6 December

Zed Pay

6 December

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NOTHING

ayushigupta

#december

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दिसंबर का महीना  धरती में और अंबर में। 
 चिठ्ठी में फ़ोन नम्बर में। 

 तेरी यादें सताये मुझे, 
शुरू होते ही दिसम्बर में। 
    ©Er.आयुषी गुप्ता

©ayushigupta #december

Jyoti ki alfaaz

# december

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White आ गए दिसंबर ... 
पूरे महीनों  की यादों  को बटोरने और पूछने भी की कैसा बीता ये साल।

©Jyoti  ki alfaaz # december

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
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