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Sunita Pathania
Surbhi Awasthi
Rajesh kohli Arjun Rawat पार्थ shivom upadhyay sakshi Pandey Kshitija प्रिय-अंक
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAndaaz bayan
जी भर के निहारों,इस तरह प्रभु को, कि हृदय में तस्वीर छप जाए । बंद करें,जब-जब आंखों को प्रभु भोलेनाथ जी के दर्शन हो जाए।।✍🏻 📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿 ©Andaaz bayan #Shiva#pray#wish#bhole Dr.UMESH ARSHAAN Anshu writer Satyaprem Upadhyay Ravi vibhute प्रिय-अंक
Maya Sharma
White उसे मेरी फिक्र है वो जताता बहुत था उसे मुझसे प्यार है दिखाता बहुत था कहता था यकीन करो मेरा मेरे लिए इस जहां में तुमसे बेहतर कोई नहीं है पर क्या हुआ जब उसे हमने , बेहतर से बेहतरीन लोग मिले बोला तुम्हारा मेरा साथ यही तक था मुझे अब बहुत बेहतरीन चाहने वाले मिले हैं वो उसका प्यार उसकी फिक्र करना बस एक दिखाना था ।और हम समझ रहे थे की हमें बहुत बेहतर चाहने वाला मिला है तो समझ आया बेहतर से बेहतरीन होता है 🌹🌹राधे राधे जी 🌹🌹 ©Maya Sharma #sad_quotes आलोक जी Author kunal rasmi प्रिय-अंक Neha Bhargava (karishma) Prince_"अल्फाज़"
#sad_quotes आलोक जी Author kunal rasmi प्रिय-अंक Neha Bhargava (karishma) Prince_"अल्फाज़"
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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