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Shaayar_raahi
मौज-ए-हवादिस जो चलना शुरू हुई, तो थमी ना आज तक !! मुस्कुराहटें सारी बिखर गईं,, क़हक़हा बस अब बचा रहा ?? ©Shaayar_raahi मौज–ए–हवादिस – हादसों की लहर ( एक के बाद एक हादसे होना ) क़हक़हा – ज़ोर ज़ोर से हँसना #Zindagi #haadse #pagalpan #Sadma
@thewriterVDS
"गुलज़ार" दर्द हल्का है साँस भारी है जिए जाने की रस्म जारी है आप के ब'अद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो दिन की चादर अभी उतारी है शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले कैसी चुप सी चमन पे तारी है कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्ताँ हमारी है। "गुलज़ार" ब'अद - बाद/पश्चात क़हक़हा - खिलखिलाकर हंसना/ ठहाका शाख़ - शाखा/डाली चमन - बगीचा/फुलवारी/उद्यान तारी - छाया/फैला हुआ #गुलज़ार #गुलजार #गज़ल #
@thewriterVDS
"गुलज़ार" दर्द हल्का है साँस भारी है जिए जाने की रस्म जारी है आप के ब'अद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो दिन की चादर अभी उतारी है शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले कैसी चुप सी चमन पे तारी है कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्ताँ हमारी है। "गुलज़ार" ©@thewriterVDS ब'अद - बाद/पश्चात क़हक़हा - खिलखिलाकर हंसना/ ठहाका शाख़ - शाखा/डाली चमन - बगीचा/फुलवारी/उद्यान तारी - छाया/फैला हुआ #गुलज़ार #गुलजार #गज़ल #
Anita Saini
जब वो दिल खोलकर क़हक़हा लगाती है, मानो, कहकशाँ भी फ़लक से उतर आती है ! _Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "क़हक़हा" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जा
LoNeLy HeArT
SHAYARI BOOKS
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे! घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे! क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है हँसनेवाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे! कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे! वसीम बरेलवी by.. अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे! घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है पहले ये तय हो कि इस
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
अपने चेहरे से जो... अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे; तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे; घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है; पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे; क़हक़हा आँख का बर्ताव बदल देता है; हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे; कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा; एक क़तरे को समंदर नज़र आयें कैसे। ::*MadMan*:: ©Ankur Mishra अपने चेहरे से जो... अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे; तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे; घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का