Find the Latest Status about कफ प्रकृति from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कफ प्रकृति.
Ashutosh Mishra
Unsplash आज हरियाली ने ओढी क्या स्वेत चादर मानो धरती पर स्वर्ग लोक का निर्माण हुआ शीत रितु की शीतल झकोरे हर मानव को झकझोरे कुछ सिमट गए रजाई में तो कुछ प्रकृतिक की छटा निहारे कही अनुपम अद्भुत अदुतीय का स्वर गुंजायमान हो रहा कोई आसमान से गिरते बर्फ के फुहारों की स्मृतियों को अपने मानस पटल पर इंगित कर रहा है अनोखी अदा अनोखी छटा अनोखा अंदाज है प्रकृतिक का हर सम्भव करो रक्षा प्रकृतिक की नही तो ये नज़रे केवल तस्वीर बन जाएगी अल्फाज मेरे✍️🏽🙏🏼🙏🏼 ©Ashutosh Mishra #snow #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #प्रकृति #नजारा #आशुतोषमिश्रा Mahi Aman Singh unnti singh SHIVAM tomar "सागर" Kamlesh Kandpal
#snow #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #प्रकृति #नजारा #आशुतोषमिश्रा Mahi Aman Singh unnti singh SHIVAM tomar "सागर" Kamlesh Kandpal
read moreJyoti
Unsplash जब आप प्रकृति🌿🍃से सच्चा करते हैं, तो आप को दुनिया की हर जगह खुबसूरत लगेगी। ©Jyoti #leafbook # प्रकृति🌿🍃
#leafbook # प्रकृति🌿🍃
read morePawan Kamboj
Unsplash प्रकृति ने जो दिया वो मानव के हित के लिए था, परन्तु मानव अज्ञान के कारण अपने काल्पनिक सुख के लिए प्रकृति को ही नुकसान देने लगा , प्रकृति से छेड़ छाड़ करने के बदले अब प्रकृति भी अपना रूद्र रूप दिखाने लगी है । please try to SAVE 💦, SAVE TREES🎄 And SAVE NATURE 🙏 ©Pawan Kamboj #leafbook #SaveNature #Savewater #savetrees #Beautiofnature #nature #प्रकृति #nojoto #world प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हि
#leafbook #SaveNature #Savewater #savetrees #Beautiofnature #Nature #प्रकृति nojoto #world प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हि
read moreneelu
White आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं निर्भर करता है ©neelu #sad_quotes आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं निर
#sad_quotes आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं निर
read moreneelu
White हम क्या सिखते हैं यह तो हमारी सीखने की प्रकृति पर निर्भर करता है पर लोग हमें सिखाने ही आते हैं.... ©neelu #love_shayari हम #क्या #सिखते हैं यह तो हमारी #सीखने की #प्रकृति पर #निर्भर करता है पर #लोग हमें #सिखाने ही आते हैं....
नवनीत ठाकुर
White दरख्त काट के हमने शहर बसाए, अब हर सांस को तरसने का वक्त बना रखा है। दरिया रो रहे हैं, पहाड़ टूट रहे हैं, हमने तरक्की के नाम पर ज़हर बना रखा है। जंगल जलाकर हमने इमारतें खड़ी कीं, फिर भी छांव को तरसने का दौर बना रखा है। हवा, पानी, धरती का हाल पूछो ज़रा, हमने कुदरत को अपने बाप की जागीर बना रखा है। ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति
Nishchhal Neer
जब मिलना हो खुद से तो.. प्रकृति से मिल लेता हूँ.. मन की मटमैली यादों को.. पानी से धो लेता हूँ.. निश्छल "नीर" poetry #kavita shayari sha
read moreGhanshyam Ratre
White आसमां में चांद और चमकते सितारों की खूबसूरत नजारे हैं। धरती पर पेड़-पौधों झाड़ीयों का हरा भरा छाया हरियाली हैं।। प्रकृति का सौंदर्य रूप देखकर मन में हर्षोल्लास होते हैं। कहीं-कहीं नदियां,पहाड़ पर्वत बाग -बगीचे दृश्य मन को मोह लेते हैं।। ©Ghanshyam Ratre प्रकृति की सुंदरता
प्रकृति की सुंदरता
read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
read more