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F M POETRY
White दुआ है मेरी तुझे ज़िन्दगी में ग़म न मिले.. मैं चाहता हूँ तेरी आँख कभी नम न मिले.. यूँही तन्हाँ नहीं हूँ ये ही वजह है शायद.. किसी से दिल न मिला और किसी से हम न मिले.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #किसी से दिल न मिला और किसी से हम...
#किसी से दिल न मिला और किसी से हम...
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White हम किसी से प्यार करना चाहते हैं.. ये खता सौ बार करना चाहते हैं.... यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #हम किसी से.....
#हम किसी से.....
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
green-leaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने अब पूरी दुनिया से दूर हो जाएंगे हम ! कुलदीप सिंह रुहेला ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #GreenLeaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने अब पूरी दुनि
#GreenLeaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने अब पूरी दुनि
read morepriyanka pilibanga
❤️❤️ केसरी पत्रिका में प्रकाशित रचना ❤️❤️ ©Priyanka pilibanga हिंदुस्तान की नारी
हिंदुस्तान की नारी
read moreDil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य
India quotes बदल रहा है देश ये बदल रहें है यार हम, बदलते इस जहान की हैं पहचान हम। चल रहें हैं साथ यार, हाथ ले सबका हम, नये इस जहान के दिलों के अरमान हम। हौसला जो हो सभी में, रोक दे हमे कहाँ आज अपने कदमों में, झुकता सारा जहाँ हैं हिन्दुस्तान हम... हैं हिंदुस्तान हम.. ©Dil_ki.dastaan हैं हिंदुस्तान हम #भारत #india #मेर_भारत_महान #nation #भारतीय #Indian #life
नवनीत ठाकुर
"हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।" ©नवनीत ठाकुर हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
read moreनवनीत ठाकुर
"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं । ©नवनीत ठाकुर "जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।
"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।
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