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Stories related to आतशक रोग क्या है

Mintu soni

वाह क्या बात कही है #nojohindi

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हिमांशु Kulshreshtha

क्या रिश्ता है..

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नहीं जानता क्या रिश्ता है
मेरी रूह से तुम्हारी रूह का
जो भी है ये, मगर खूब है
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा
तन के रिश्ते,
ना थे पहचान कभी
मेरे इश्क की….
रूहों के मिलन से से होगा नायाब
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा

©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..

RUPESH Kr SINHA

क्या यह सही नहीं है

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चाँदनी

#रोग

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White जाने कौन सा रोग मेरे कविताओं को लगा है
शब्दों का एक कतरा जिस्म पर गिरते ही
कविताएँ अपने एक अंग को खा जाती है

मै एक कोने मे बैठ कर खूब रोती हूँ
और मेरे कविता के बहते नासूर से 
फिर एक जिस्म तैयार होता है 

हर बार हृदय काग़ज के आर पार
बैठा राहगीरो से दूर अपने जख्म
की तूरपाई मे कागज के सिलवटों
को नोच देता है

दर्द नासूर का नही, जिस्म का
 नही काग़ज का होता

मौत तीनों को कैद करता है
रूह अकेला चित्कारता है

कविताएँ जहर या औषधि ही नही बनती
बाकी तीन खण्डों का मूलभूत अधिकार
जीवन - मरण तक स्थापित कर चुकी होती है

©चाँदनी #रोग

Parasram Arora

आखिर ये धर्म है क्या?

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White धर्म!

आखिर ये धर्म है क्या? 
 
मैंने तो  सिर्फ जीवन को ही जाना है 
जीवन के अलावा 
मैंने किसी को नहीं 
जाना  है.

और मेरी दृष्टि मे जीवन 
 का अर्थ है.
खेत   हल कुवा और  
लहल्हाती फसल 
जीवन का अर्थ है  पत्नी 
बच्चे और सुखद सफल 
दाम्पत्य

©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?

Matangi Upadhyay( चिंका )

प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay

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प्रेम क्या है..?

मन की व्यथा जब कहनी ना पड़े, 
तन की पीड़ा जब बतानी ना पड़े, 
आँसू गिरे तो किसी की हथेली नर्म कर दे, 
निगाहें उठे तो गुस्सा शांत कर दे, 
मन जब उस मुकाम पर किसी के
 कंधे पर सर रख कर मुस्कुराए
 और आँखें भीग जाए, 
वो एहसास वो मुकाम प्रेम है..!

©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम क्या है??
#matangiupadhyay #Nojoto

नवनीत ठाकुर

ना क्या जादू है बेगाने में

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वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने,
सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में।
अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा,
ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में।

मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में,
अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में।
खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में,
अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में।

जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे,
जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में।
सवाल हजारों हैं दिल के आईने में,
बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में।

गुज़री हुई बातों की सदा आती है,
जैसे कोई पुकार हो वीराने में।
जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं,
ना जाने क्या जादू है बेगाने में।

©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में

paimel preet kaur

इस रोग का कोई ईलाज नहीं है।#HeartTouching #Motivation poetry #TrueWords

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BRAHMRISHI SRIRAM

उदरी रोग प्रशमन

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katha Darshan

क्या बदलता है ! Katha Darshan

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White धुआं लकड़ी का हो या 
यादों का आँखे तो जलती ही हैं

©katha Darshan #Nojoto क्या बदलता है ! Katha Darshan
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