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Saket Ranjan Shukla
hanuman jayanti 2024 हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं हर्षोल्लास है चहुं ओर, चहुं ओर फैली खुशहाली है, पर्वतराज अंजनेरी की तो, आज छटा ही निराली है, माता अंजनी के हर्ष की सीमा कैसे पार पाएगा कोई, नवजात मारुति के दर्शन पा, ये सृष्टि भी बलिहारी है, वानरराज केसरी भी खुशी के मारे फूले नहीं समाते हैं, पवनदेव भी अपने औरसपुत्र को देखते नहीं अघाते हैं, स्वयं शिवशंकर लेकर रूद्रावतार, भूमंडल पर पधारे हैं, मनभावन बालरूप धर कपीश हर किसी को छकाते हैं, देवगण पुष्पवर्षा करते, गंधर्व उल्लास के गीत गा रहे हैं, पशु-पंछी कर कोलाहल आनंदित सुर से सुर मिला रहे हैं, ये पेड़-पौधे आज आह्लादित से होकर, बल खा रहे हैं ऐसे, मानो अंजनीसुत को क्रीड़ा करने, अपने मध्य बुला रहे हैं, संकटमोचन हुए अवतरित अब काहे का किसी को हो भय, कष्ट, चिंताएं सौंप आंजनेय को, बोलो बजरंग बली की जय। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
White इकतरफ़ा इश्क़ महज़ दोस्ती है या मोहब्बत, जताऊँगा नहीं, दिल के जज़्बात, मैं ज़ुबान पर लाऊँगा नहीं, तेरे इकरार की नहीं दरकार मेरी आशिक़ी को, हसीन एहसास ये तेरे जवाब पर लुटाऊँगा नहीं.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla इकतरफ़ा आशिक़ी.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
White श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं आर्यावत हुआ है धन्य, पधारे हैं अवध में रघुराई, सारी नगरी सजी पुष्पों से, बाजी हर घर है बधाई, श्रीराम के आगमन मात्र से, मानो तृप्त हुई है धरा, शंखों की ध्वनि गूँज रही, गूँजे है ढोल और शहनाई, ये दशों दिशाएँ हैं आतुर, कौशल्यानंदन के दर्शन को, कैसे धरे संयम कोई, कैसे थामे तीव्र हृदय स्पंदन को, रघुवीर के कंधे सजने को कोदण्ड भी आकुल है जैसे, संपूर्ण ब्रह्मांड कर जोड़े खड़ा श्रीरामलला के वंदन को, सुधबुध खोए, राम में रमे हम, राम में ही शरण पाते हैं, राम में रमे है सृष्टि सकल, राम नाम से सब तर जाते हैं, रमणीक न कोई राम सा, राम सा मनोहर न कोई दूजा, श्रीहरि, आपके बाल्य रामरूप पर सब बलिहारी जाते हैं, हर्षोल्लास है चहुँ ओर, तारणहार जो मृत्युलोक पधारे हैं, एक नारा है सबका, हम हैं श्रीराम के और श्रीराम हमारे हैं। IG:– @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla
सुन कभी ऐ तक़दीर मेरी कमियों को मेरी, अब उलाहने सरेआम न दे, तूने भी चुना था मुझे, सिर्फ़ मुझे इल्ज़ाम न दे, हो रहा हूँ बर्बाद मैं, तेरे बताए रास्ते पर चलकर, बेचारगी ही दिखे, इस सफ़र को वो आयाम न दे, माना कि ख़्वाब सजाना, तुझसे ही सीखा है मैंने, दिल को चुभें जो ताउम्र, उन टुकड़ों का इनाम न दे, न कुछ आस लगाई तूझसे साथ निभाने के अलावा, नाराज़गी में मत ले फ़ैसले इस रिश्ते को क़याम न दे, सौ हार पर, एक जीत तो मेरे के नाम कर, ऐ तक़दीर, ज़ख्मी रूह को “साकेत" के, भले कभी आराम न दे। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla सुन कभी ऐ तक़दीर मेरी.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
ख़ैर वहम के सहारे ही सारा रस्ता गुजार गया, अब तक का सारा सफ़र यूँ ही बेकार गया, सुना था कि पाकर मंज़िल मिलती है खुशी, ख़ैर मुझे क्या मैं तो फ़िर एक दफ़ा हार गया.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ख़ैर.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
शीर्षक:— क्या ही मिलेगा अब मुझे बोए हैं सिर्फ़ काँटे तो सींचकर भी क्या ही मिलेगा, बे-मरहम ज़ख्मों पर खीझकर भी क्या ही मिलेगा, टूट गए ख़्वाब सारे, जो सजाए जागती निगाहों ने, आँखें हुईं वीराँ, पलकें मीचकर भी क्या ही मिलेगा, मेरे ज़रिए मंज़िल पाने वाले भी हाथ छुड़ाकर गए हैं, लकीरें ही दें दगा तो मुठ्ठी भींचकर भी क्या ही मिलेगा, मदद की आस अब किसी से नहीं रस्ता भी सुनसान है, सुननेवाला कोई है नहीं तो चीखकर भी क्या ही मिलेगा, अब तकदीर ही करती है चुनाव, मेरे सफ़र का “साकेत", मंज़िल ही जब मेरी नहीं तो जीतकर भी क्या ही मिलेगा। IG:- @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla क्या ही मिलेगा अब मुझे..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
Red sands and spectacular sandstone rock formations शीर्षक:– हमारी तकलीफ़ अलग है बिना अश्क़ दिखाए भी हम बेतहाशा रोज रोए हैं, गीले तकिए के सहारे खाकर दिल पर चोट सोए हैं, मेरे दर्द से जमाने के दर्द की तुलना न कर, ऐ ज़िंदगी, मोहब्बत खोने पर टूटते हैं लोग, हमने दोस्त खोए हैं.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla हमारी तकलीफ़ अलग है..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .