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Jaymala Bharkade

#झाडे लावा झाडे जगवा #मराठीकविता

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White   झाडे लावुनी जागवूया आपली माती

उष्णतेच्या लाटेचे उभे थैमान  माथी
वर्षानुवर्ष खितपत पडली आपली माती
 तुटका पाऊस नि दुष्काळ हाती
  निवारण यावरी एकच आता  
झाडे लावूनी जगवूया आपली माती

 ज्या गावात नि शिवारावर झाडे  हिरवी
 गाव आनंदाने ते सदा बहरे
करा निश्चय मनात एकच आता 
नि उतरू द्या आपल्या कृतीत 
झाड लावुनी जगवूया आपली माती

 नाही तो दिवस लांब आता
 कृत्रिम हवा पाणी येईल बाजारी
तव महाग होईल जीवनाची स्पंदने 
 का ? संकट ओढवून घेता आपल्या हाताने 
झाड लावुनी चला जगवूया माती 

नको उशीर पुन्हा आता 
तू तू मै मै का करता ?
 ठरेल प्राणघाती हे आपणा
उठा जन सहकार्याने शाश्वत जीवनासाठी
 झाड लावुनी चला जगवूया आपली माती

©Jaymala Bharkade #झाडे लावा झाडे जगवा

Sanskar

Gurudeen Verma

कविता

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White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे
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बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी,
जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का,
और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर,
गरीब आदमी की जमीन और आजादी।

लेते हैं काम छोटे आदमी को,
कोल्हू के बैल की तरह दिनरात,
एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर,
जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में।

लेता है ब्याज बहुत वो आदमी,
छोटे आदमी को देकर उधार रुपये,
बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के,
जिनके होते हैं मकां महलनुमा।

होती है उनकी जिंदगी राजा सी,
जिनके एक ही आदेश पर,
हो जाते हैं सारे काम,
और हाजिर नौकर चाकरी में।

कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी,
मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं,
बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति,
भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से।

लेकिन एक ऐसा आदमी भी है,
जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम,
करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी,
और कोसता है वह बड़े आदमी,
इस ठग को क्या नाम दे।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #कविता

Shiv gopal awasthi

कविता #शायरी

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