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tripathi
क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो ©tripathi क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो
क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो
read moreParasram Arora
White अब मैंने अपने रूठें मन को भी मनाना सीख लिया है अब तो मै तोते रोते भी हंसने का हुनर सीख गया हूँ ©Parasram Arora #रूठें मन को मनाना
#रूठें मन को मनाना
read morejameel Khan
White पैदल से बेहतर उस शख़्स ने कश्ती का सहारा लिया है बस्तियां जलाने वालो को किसी ने तो इशारा किया है जमील ©jameel Khan # इशारा #
# इशारा #
read moreAR Mallik
मन तो था की, मन का हो सब मगर मन का कभी कुछ हुआ है क्या ? ©AR Mallik कुछ पंक्तियां मेरे मन का ।।
कुछ पंक्तियां मेरे मन का ।।
read morearbin mutum
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset kridagi hwrkhibno nungcba ©arbin mutum #lyrics
Mahesh Patel
Unsplash सहेली..... वक्त का इशारा में समझ नहीं पा रहा हूं.. तुझसे मिलना चाहता हूं पर मिल नहीं पता हु.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... इशारा... लाला...
सहेली... इशारा... लाला...
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White मेरे दर्द को पढ़ने की कोशिश करते हैं लोग अख़बार की ख़बर नहीं किताबों की बात करते हैं लोग ©हिमांशु Kulshreshtha मेरे दर्द को..
मेरे दर्द को..
read moreनवनीत ठाकुर
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका तलबगार न था। ©नवनीत ठाकुर मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
read moreनवनीत ठाकुर
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
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