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N S Yadav GoldMine
White महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्नी गान्धारी और बहू कुन्ती के साथ नृपश्रेष्ठ पृथ्वी पति धृतराष्ट्र वनवास के लिये चले गये, विदुर जी सिद्धि को प्राप्त होकर धर्मराज युधिष्ठिर के शरीर में प्रविष्ट हो गये और समस्त पाण्डव आश्रम मण्डल में निवास करने लगे, उस समय परम तेजस्वी व्यास जी ने जो यह कहा था कि मैं आश्चर्यजनक घटना प्रकट करूँगा वह किस प्रकार हुई? यह मुझे बतायें। अपनी मर्यादा से कभी च्युत न होने वाले कुरूवंशी राजा युधिष्ठिर कितने दिनों तक सब लोगों के साथ वन में रहे थे? प्रभो। निष्पाप मुने। सैनिकों और अन्तःपुर की स्त्रियों के साथ वे महात्मा पाण्डव क्या आहार करके वहाँ निवास करते थे? वैशम्पायन जी ने कहा । कुरूराज धर्तराष्ट्र पाण्डवों को नाना प्रकार के अन्न-पान ग्रहण करने की आज्ञा दे दी थी, अतः वे वहाँ विश्राम पाकर सभी तरह के उत्तम भोजन करते थे। 📒 इसी बीच में जैसाकि मैनें तुम्हें बताया है, वहाँ व्यास जी का आगमन हुआ। राजन्। राजा धृतराष्ट्रके समीप व्यास जी के पीछे उन सब लोगों में जब उपयुक्त बातें होती रहीं, उसी समय वहाँ दूसरे-दूसरे मुनि भी आये। भारत। उन में नारद, पर्वत, महातपस्वी देवल, विश्वावसु, तुम्बरू तथा चित्रसेन भी थे। धृतराष्ट्र की आज्ञा से महातपस्वी कुरूराज युधिष्ठिर ने उन सब की भी यथोचित पूजा की। युधिष्ठिर से पूजा ग्रहण करके वे सब के सब मोरपंख के बने हुए पवित्र एवं श्रेष्ठ आसनों पर विराजमान हुए। कुरूश्रेष्ठ। उन सब के बैठ जाने पर पाण्डवों से घिरे हुए परम बुद्धिमान राजा धृतराष्ट्र बैठे। गान्धारी, कुन्ती, द्रौपदी, सुभद्रा तथा दूसरी स्त्रियाँ अन्य स्त्रियों के साथ आस -पास ही एक साथ बैठ गयीं। नरेश्वर। उस समय उन लोगों में धर्म से सम्बन्ध रखने वाली दिव्य कथाएँ होने लगीं। प्राचीन ऋषियों तथा देवताओं और असुरों से सम्बन्ध रखने वाली चर्चाएँ छिड़ गयीं। 📒 बातचीत के अन्त में सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं और वक्ताओं में श्रेष्ठ महातेजस्वी महर्षि व्यास जी ने प्रसन्न होकर प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्ट्र से पुन: वही बात कही। राजेन्द्र। तुम्हारे हृदय में जो कहने की इच्छा हो रही है, उसे मैं जानता हूँ। तुम निरन्तर अपने मरे हुए पुत्रों के शोक से जलते रहते हो। महाराजा। गान्धारी, कुन्ती और द्रौपदी के हृदय में भी जो दुःख सदा बना रहता है, वह भी मुझे ज्ञात है। श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा अपने पुत्र अभिमन्यु के मारे जाने का जो दुःसह दुःख हृदय में धारण करती है, वह भी मुझे अज्ञात नहीं है। कौरवनन्दन। नरेश्वर। वास्तव में तुम सब लोगों का यह समागम सुनकर तुम्हारे मानसिक संदेहों का निवारण करने के लिये मैं यहाँ आया हूँ। ये देवता, गन्धर्व और महर्षि सब लोग आज मेरी चिरसंचित तपस्या का प्रभाव देखें।l ©N S Yadav GoldMine #love_shayari महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद । जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।। अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद । उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न । आई है घर में गौरैया...। कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास । दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।। जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास । रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न । आई है घर में गौरैया..... देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि । बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।। जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर । किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न । आई है घर में गौरैया .... आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। ०५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा
||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, धारण किए चंद्र चमक रहा मस्तक, जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र। पर्वतपुत्री शोभित न्यारी कनक बसन कंचुकी सजाए, स्वर्ण आभूषण शोभा भाए, हृदय में शिव को बसाए, एक ही हठ वर बने शिवशंकर जाती कैलाश शिखर निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए शैल सुता पूजती शिवलिंग, अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग, वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम जागृत, किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित। ©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।
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अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशाख का महीना हिन्दू वर्ष का दूसरा माह होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिये अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म :- 🌿प्रत्येक अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं. 🌿इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। 🌿पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। 🌿वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए। 🌿अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 🌿निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए। पौराणिक कथा :- 🌿वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ©N S Yadav GoldMine #wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा
Ravendra
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