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Kalpana Srivastava
कुछ मां यशोदा जैसी होती है जो दूसरे के संतान को भी अपने गले से लगाए रहती है। और कुछ मां कैकई की तरह अपने बच्चों में ही फर्क करती है। ©Kalpana Srivastava #मां
नवनीत ठाकुर
मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता, उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता। दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं, मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है। ©नवनीत ठाकुर #मां
नवनीत ठाकुर
"पहाड़ों में जीना है कुछ खास, जहाँ मैदानों में जलती है आग, यहाँ बसी है जन्नत का एहसास। बर्फ़ की सफेदी में छुपा है खुदा का कमाल, नीले आसमान में जैसे खुदा का ख्वाब हो बेमिसाल। देवदार की खुशबू, हवा में ताजगी का पैगाम, हर कदम पर महसूस हो जैसे वादियों का सलाम। दूधिया झरने, जैसे रूह में समाई हो ताजगी का जादू, हर नजर में बसी हो सुकून की छांव का ख्वाब, धरती पर हो स्वर्ग का राज। सेब की मिठास, अखरोट-बादाम का स्वाद, खुमानी का रंग, चिलगोज़े की महक, यही है पहाड़ों की सौगात। सड़कों पर बर्फ़ की चादर, खामोशी का किनारा, ये देवों की भूमि, जहाँ जन्नत की रौशनी बसी है, एक आशीर्वाद का इशारा। गर्म इलाकों से कहीं बेहतर ये ठंडे स्थान, यहाँ हर मौसम में बसी है शांति और ठंडी शान। नसीब नहीं हर किसी को ये सुकून की चाह, यह सफर है खास, जिसे मिलती ये राह। ©नवनीत ठाकुर #पहाड़ों की राह
#पहाड़ों की राह
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White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू, उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है। लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें, उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है। उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया, हर कठिन राह में उसका साया बाकी है। माँ की दुआओं में वो असर है छुपा, जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है। माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत, जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है। उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत, माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है। जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है, उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है। उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है, हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है। उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ, उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है। दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है, माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है। ©नवनीत ठाकुर #मां