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Shashi Bhushan Mishra
सही-सही दो टूक कहा, दर्दे दिल को हूक कहा, जली दूध से जुबां हमारी, पियो छाछ भी फूंक कहा, ज़ुल्म देखकर भी चुप बैठे, अभिभावक को मूक कहा, कोयल की मीठी बोली पर, पीड़ा को भी कूक कहा, सीख नहीं पाए अतीत से, ग़लती को भी चूक कहा, इन्सां की बदहाली देखी, बक्से को संदूक कहा, 'गुंजन' हुई मुहब्बत अंधी, गदहे को माशूक़ कहा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #सही-सही दो टूक कहा#
#सही-सही दो टूक कहा#
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White ऊपर आकाश, निचे धरती, बीच मैं, मै और मैरा प्रेम, कहां ले जाऊँ इसे wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #sad_quotes कहा ले जाऊँ?
#sad_quotes कहा ले जाऊँ?
read moreVs Nagerkoti
एक अच्छा और व्याहारिक व्यक्ति अपनी जगह कही भी बना लेता है । ऐसे इंसान से अपने आप ही लोग जुड़ने लग जाते है । ऐसे लोग खुद किसी बुरे इंसान के जीवन में ज्यादा नहीं ठहरते। ©Vs Nagerkoti #duniya ऐसा इंसान का साथ इस कलयुग में किसे नहीं चाहीए,,,
#duniya ऐसा इंसान का साथ इस कलयुग में किसे नहीं चाहीए,,,
read moreRAVI PRAKASH
White सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है ©RAVI PRAKASH #sad_quotes सच कहा
#sad_quotes सच कहा
read moreनवनीत ठाकुर
White ख्वाबों का जहां किस हकीकत में ढलता है, जो आज खामोश हैं, कल क्या बदलता है। जिनके मुकद्दर में हैं आसमान के किस्से, देखें, किसे ज़मीं और किसे फलक मिलता है। हर मंजर की चुप्पी में राज छुपा है, हर सवाल का जवाब वक्त ने लिखा है। जो आज देख रहे हैं सिर्फ एक कहानी, कल वही लम्हा इतिहास बनकर चलता है। ©नवनीत ठाकुर ख्वाबों का जहां किस हकीकत में ढलता है, जो आज खामोश हैं, कल क्या बदलता है। जिनके मुकद्दर में हैं आसमान के किस्से, देखें, किसे ज़मीं और किसे
ख्वाबों का जहां किस हकीकत में ढलता है, जो आज खामोश हैं, कल क्या बदलता है। जिनके मुकद्दर में हैं आसमान के किस्से, देखें, किसे ज़मीं और किसे
read moreRAVI PRAKASH
White सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है ©RAVI PRAKASH #love_shayari सच कहा था किसी ने
#love_shayari सच कहा था किसी ने
read moreParasram Arora
White बाज़ार की चहल पहल देखने मे दिन ग़ुजर जाता हैँ मेरा किसी तरह मंदिरो मे जाकर माथा टेकने की मेरे पास फुरसत हैँ कहा ? ये मेहरबानी हैँ उस पर्वरदिगार की कि उसने. मुझे जीने का अवसर नवाज़ा हैँ वरना इस तगदिल दुनिया मे खुदक्शी करने की जगह बची हैँ कहा? ©Parasram Arora जगह बची हैँ कहा?
जगह बची हैँ कहा?
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