Find the Latest Status about लाज बाळगा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लाज बाळगा.
संगीत कुमार
आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में डंका बजायेंगी लूटेरा को दूर भगायेंगे मां भारती का लाज बचायेंगे निकम्मे को दूर भगायेंगे राष्ट्रहित की बात गुनगुनायेंगे चलो चलो मिल वोट डालेंगे फिर से भारत को स्वर्ग बनायेंगे आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का ©संगीत कुमार #election आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में
Mahadev Son
ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्त गुणी जन सब पूजते, पूजा की तिथि विधि ना जानू, मंत्र तंत्र को मैं ना जानू, मैया बस पढ़ुं चालीसा जीवन में माँ करना उजाला, बीच भंवर में फंसी है नैया, आकर लाज बचाना, सद्-बुद्धि का दान ही देना, ॐ नमो माँ काली शक्ति स्वरूपम मैया प्यारी, दया करो महाकाली ©Mahadev Son ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्
Devesh Dixit
मतदान (दोहे) हम सबका अधिकार यह, करना है मतदान। मत चूको इससे कभी, इसमें अपनी शान।। आजादी प्यारी हमें, फिर क्यों खाएँ चोट। नेता अपना वो नहीं, जिसमें कोई खोट।। अंग्रेजों ने जो किया, माना वो थी भूल। आते जब भी याद वो, हिय में चुभते शूल।। पुनः न हो गलती वही, रखना इसका ध्यान। नेता सम श्री राम हो, वैसा ही मतदान।। हमको चुनना है उसे, जो दिल से हो नेक। निर्णय का दमदार हो, दे सबको वह टेक।। कहते हैं सज्जन सभी, नेता वही महान। रखे वतन की लाज भी, कर्मों से धनवान।। मतदाता को चाहिए, ऐसा करे चुनाव। नेता भी उत्तम मिले, हो सेवा का भाव।। करे नहीं मतदान जो, नादां हैं वो लोग। नासमझी का है उन्हें, देखो कैसा रोग।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मतदान #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry मतदान (दोहे) हम सबका अधिकार यह, करना है मतदान। मत चूको इससे कभी, इसमें अपनी शान।। आजादी प्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी । समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।। सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते । रखो प्रीति की लाज , पुकारूँ तुम आ जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।