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ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
White मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है! हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायी शाकाहारी थे। हज़रत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को यह आदेश दिया था कि कभी भी "खून-ख़राबे व ब्याज़ के करीब ना भटकना" (प्रमाण- पुस्तक जीवनी हज़रत मुहम्मद, सल्लाहु अलैहि वसल्लम, पृष्ठ 307)। मांस खाना अल्लाह के विधान के विरुद्ध है। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI DEVI(Modern Mira Bai) #car #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #viral #Love मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है! हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार
ARTI JI
White मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है! हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायी शाकाहारी थे। हज़रत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को यह आदेश दिया था कि कभी भी "खून-ख़राबे व ब्याज़ के करीब ना भटकना" (प्रमाण- पुस्तक जीवनी हज़रत मुहम्मद, सल्लाहु अलैहि वसल्लम, पृष्ठ 307)। मांस खाना अल्लाह के विधान के विरुद्ध है। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI JI #car #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #कविता #viral #Love मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है! हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजा
Banarasi..
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- जन्मदिवस गुरुदेव का , बन आया त्यौहार । महादेव वरदान दे , ख्याति बढ़े संसार ।। गुरुवर ही भगवान है , समझा मैं नादान । पाया दिक्षा ज्ञान की , आज बना इंसान ।। लालायित मैं था बहुत , हूँ गुरुवर सानिध्य । तम जीवन का जो हरे , आप वही आदित्य ।। कुण्डलिया :- सीखे हमने छन्द के , जिनसे चन्द विधान । चलो करें गुरुदेव का , छन्दों से सम्मान ।। छन्दों से सम्मान , बढ़ाए मिलकर गौरव । इतने हम हैं शिष्य , नही थे उतने कौरव ।। मीठे प्यारे बोल , नहीं वे होते तीखे । मन की कहना बात , उन्हीं गुरुवर से सीखे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- जन्मदिवस गुरुदेव का , बन आया त्यौहार । महादेव वरदान दे , ख्याति बढ़े संसार ।। गुरुवर ही भगवान है , समझा मैं नादान ।
Internet Jockey
चमत्कार तभी होते हैं जब आस्था होती है वरना तो सब विधि का विधान है ©Internet Jockey चमत्कार तभी होते हैं जब आस्था होती है वरना तो सब विधि का विधान है
Shivkumar
देवी सिद्धिदात्री सिद्धिदात्री हैं नवम, माँ दुर्गा अवतार I अभिलाषा पूरी करें, देवी बारम्बार II . कल्याण हेतु ही रखा, सिद्धिदात्री नाम I विधि विधान से सब करें, पूजन के हर काम II . शिव के आशीर्वाद से, अष्ट-सिद्धि कीं प्राप्त I धन-बल-यश से युक्त माँ, चहुँदिश में हैं व्याप्त II . माँ का आसन है कमल, रहती सिंह सवार I चक्र, गदा कर दाहिने, करे दुष्ट संहार II . शंख, कमल धारण किए, अपने बाएँ हाथ I शांति, धर्म, सत्कर्म का, देवी देती साथ II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I देवी को प्रिय बैंगनी, इसमें नहीं विवाद II . सिद्धिदात्री साधना, जो भी करता संत I कुछ रहता अगम्य नहीं, करे अवरोध अंत II . शिव के अर्द्ध शरीर में, शामिल देवी मान I जागृत बोध असारता, जो भी करता ध्यान II . देवी मंगल दायिनी, शिव का यह वरदान I सभी कार्य में सफलता, भक्तों करे प्रदान II . पूजन में अर्पित करें, मधु, फल-पुष्प सुगन्ध I देवी भक्तो प्रति रखे, प्रेमपूर्ण सम्बन्ध II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #नवरात्रि #Nojoto देवी सिद्धिदात्री सिद्धिदात्री हैं नवम, #माँ दुर्गा अवतार I अभिलाषा पूरी करे
Shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
Bharat Bhushan pathak
छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार होता है।यह चार चरणों वाला छंद है।क्रमागत दो-दो चरण या चारों चरण समतुकान्त होता है। मापनी- लगागागा लगागागा १२२२ १२२२ चमकती जब,यहाँ चपला। करे हे यह,बहुत घपला। सदा यह प्राण लेती है। कभी ना त्राण देती है।।१ रहम भी खूब ये करती। इसी से है, हरी धरती।। चमकना शान्त हो ऐसे। चमकता चाँद हो जैसे।।२ ©Bharat Bhushan pathak #Reindeer छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार