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Neena Jha
चल पड़ी हूँ, जल धारा-सी टेढ़ी-मेढ़ी ख़ुद की बनाई राह पर, थकती हूँ, धीमी पड़ती हूँ, मग़र एक अथाह समंदर है मेरे नाम, यही सोच अपनी नदी का आँचल छोड़ समंदर से मिलने अनवरत दौड़ती हूँ। उड़ रही हूँ बेख़ौफ़ हवा-सी, कभी लू बनकर अपनी ही मुट्ठी की रेत उड़ा देती, कभी सुकून बनकर ज़मीं रगों की सहलाती, महज़ समन्दर पीने को तपती धूप में भी जलती हूँ। खिल रही हूँ, फूल बन कर, एक नए अपनेपन की चाह में, माली छोड़ा, अपना चमन तजा, खिली काँटेदार कूचे की कंटीली क्यारी में, जो मुरझाए पल में बिना प्रणय, खिल जाए पल में पाकर प्रीत अमूल्य, हवा-पानी, सूर्य प्रभा मेरे खिलने का प्रमाण न देंगे, पूछो जीवनसार मेरा, जलधि की तरंगों से, जिसे पाने को शहर अपना छोड़ आयी हूँ। कीमत बढ़ाने अपनी, अपनी ही ज़मीं रोंद आयी हूँ, हीरा बनने की चाह छोड़, मोती सागर का पाने आयी हूँ, डूब जाने का डर नहीं, तपती लहर बनकर तुझ में हलचल देने आयी हूँ, समझ ले मेरी कीमत, सीने से लगा ले, जीवनसाथी बना ले, ज्वार भाटा साथ साधेंगे, किनारे कर देने से भी किनारे न होंगे, तू सूखेगा जिस रोज़, हम भी तभी लुटेंगे। नीना झा संजोगिनी ©Neena Jha #BehtiHawaa #Neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ ज्ञानदात्री 🙏 चल पड़ी हूँ, जल धारा-सी टेढ़ी-मेढ़ी ख़ुद की ब
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
कवि संतोष बड़कुर
ख़याल में आता है जब उसका खूबसूरत चेहरा, तो लबों पे अक्सर फरियाद आती है। हम भूल जाते है उसके सारे सितम, जब उसकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है। ©कवि संतोष बड़कुर #Love #Poetry #poem #shayri #LoveStory #Trending #Nojoto #Hindi #nojotohindi #nojotoenglish Rama Goswami M.K Meet PoetryWith@|{@|\||{$#@ Su
Abhishek 'रैबारि' Gairola
आप्रवासी ये जो परिंदे हैं आसमान में कल ठहरे थे मेरे प्रांगण में। मकान के पिछले जंगल से कुछ तिनके, पगडंडियाँ लाकर बरामदे में बिखेर दी थी इस अभिलाषा में कि ये प्रवासी मेरे घर मे अपना घोंसला बसाएंगे। उनकी इस श्रम प्रक्रिया से प्रस्फुटित होने वाली प्रेमाभा में आर्द होने की आकांक्षा चक्षुओं में समेटे मै सो गया। भोर फूटी तो निंद्रा टूटी, सूर्य की प्रभा में बड़ी आशा के साथ मैंने आंगन की और देखा । कल रात के बिखराए हुए तिनके लगभग उसी समानता के साथ गृहमूल पर छितरे हुए थे। पेड़ो पर कोई चहचहाहट नहीं थी, घर के चौक में चहल पहल भी कम थी, केवल एक कुत्ता था जो धूप के निर्झर में, नींद की मादकता में चित्त पढ़ा था। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola #lovebirds आप्रवासी ये जो परिंदे हैं आसमान में कल ठहरे थे मेरे प्रांगण में। मकान के पिछले जंगल से कुछ तिनके, पगडंडियाँ लाकर बरामदे में
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
श्री राम भवन के न्यासी नही, त्रिभुवन के शिलान्यास बने। ऐसे पथ पर जाना होगा,जो पथ है अविराम का इसलिए मांगा केकई ने,वनवास श्री राम का।। ©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Vijaykakade68 प्रभा देवी आभा 🖋️ sana naaz kashi... रविन्द्र 'गुल' ek shayar
Babita Kumari
क्यों आंख मेरी तू आंसुओं की बारिश किए जाए जब जानती है तू की तेरी एक बूंद भी उसे भीगो ना पाए ©Babita Kumari #Remember SAGUN (Manisha) Rahul Bhardwaj Brajpal Singh kondar Bhavesh kalasva Singer Kishan Kumar Sanju Singh Bhardwaj Only Budana suresh
Vedantika
किसी चेहरे की विभा पर हृदय में कंपन प्रेम के आरंभ का एक मधुर संकेत हैं उसकी खुशी के लिए स्वयं अश्रु बहाना ईश्वर के किसी भक्ति का आवेग हैं 1 प्रतियोगिता संख्या 12 का शीर्षक विभा जिसका अर्थ होता है किरण रश्मि प्रभा कांति brightness sparkling 2 कृपया मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर
Kulbhushan Arora
स्वर्ण का एक कण भी स्वर्ण है स्वर्ण की आभा 🌟स्वर्ण प्रभा🌟 Dedicating a #testimonial to 🌟" स्वर्ण प्रभा "🌟 जब कोई स्वयं को पत्र लिखता है, सच में वो स्वयं से ही मिलता है, स्वयं से मिलना शुभ है नहीं Ar
Kulbhushan Arora
हला समंदर हला समंदर गोपी चंदर पोकली दीदी आ जा अंदर जलपली तुम्हें बुला रही है, गुदगुदी मुझे कल लही है, शायद उसको तुम्हारी कमी भोत खल लही है दीदी दीदी ज
संवेदिता "सायबा"