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Neel
White कुछ तो है जो आग सा...जल रहा मुझमें, धूप से टुकड़े के जैसा... पल रहा मुझमें। चाहत की डोरियों से बांध...खींच लाऊं क्या..?? मेरा बचपन जो बंद आंखों में...पिघल रहा मुझमें। 🍁🍁🍁 ©Neel #पिघल रहा मुझमें 🍁
Kailas Tidke
White जाईसारखी नाजूक अन गुलाबासारखी रुबाबदार तू.../ तुझा गंध मोगरा अन माझ्या हृदयातील पारिजात तू...// ©®कैलास ©Kailas Tidke #love_shayari #तू #गुलाब
#love_shayari #तू #गुलाब #मराठीशायरी
read morewriter....Nishu...
White क्यूँ अकेला कर छोड़ गये तुम मुझे क्या मजबूरी थी इक बार बताता तो मुझे रूलाया मुझे भी और रोया तू भी होगा ऐसी कौनसी वज़ह थी जिसने इतना सताया तुझे वक़्त नहीं तेरा मेरा साथ अपने मगर मैं तेरी तू मेरा रहेगा तेरी हर खुशी और तकलीफ़ में साथ खड़ा पायेगा मुझे दिल ने इतना चाहा है तुझे खुद में भी इसने पाया है तुझे ©writer....Nishu... #तू मेरा
#तू मेरा
read moreBriguram Ghorai
White रास्ते मिले ना मिले ... मंजिल मिले ना मिले ... देखा है न सपना तूने... तुझे ही चलना है... भुला ना नहीं ... कभी तेरा सपना है तुझे ही चलना है ... ©Briguram Ghorai #तू चल
#तू चल #Motivational
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White एकोऽहम् ,द्वितीयो नास्ति । भगवान ही कह सकते हैं, इन्सान है तू, कह --- एकोऽहम् ,द्वितीयो नास्मि.... कल्याण होगा, वचन से,मन से, एक रह। ©BANDHETIYA OFFICIAL #इन्सान है तू।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
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ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
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