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Modern Danoda
❤️हृदय परिवर्तन❤ 🌷एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था । बाल भी सफ़ेद होने लगे थे । एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया । उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया । राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें । सारी रात नृत्य चलता रहा । ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी । नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है, उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा "बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई । एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए ।" अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला । तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा । जब यह बात गुरु जी ने सुनी । गुरु जी ने सारी मोहरें उस नर्तकी के सामने फैंक दीं । वही दोहा नर्तकी ने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया । उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के पुत्र युवराज ने अपना मुकट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया । नर्तकी फिर वही दोहा दोहराने लगी तो राजा ने कहा - "बस कर, एक दोहे से तुमने वेश्या होकर सबको लूट लिया है ।" जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू आ गए और गुरु जी कहने लगे - "राजा इसको तू वेश्या मत कह, ये अब मेरी गुरु बन गयी है । इसने मेरी आँखें खोल दी हैं । यह कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ, भाई मैं तो चला ।" यह कहकर गुरु जी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े । राजा की लड़की ने कहा - "पिता जी मैं जवान हो गयी हूँ । आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे थे और आज रात मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था । लेकिन इस नर्तकी ने मुझे सुमति दी है कि जल्दबाजी मत कर कभी तो तेरी शादी होगी ही । क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है ?" युवराज ने कहा - "पिता जी आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज नहीं दे रहे थे । मैंने आज रात ही आपके सिपाहियों से मिलकर आपका कत्ल करवा देना था । लेकिन इस नर्तकी ने समझाया कि पगले आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है । धैर्य रख ।" जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्म ज्ञान हो गया । राजा के मन में वैराग्य आ गया । राजा ने तुरन्त फैंसला लिया - "क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ ।" फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया और अपनी पुत्री को कहा - "पुत्री दरबार में एक से एक राजकुमार आये हुए हैं । तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो ।" राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया । यह सब देखकर नर्तकी ने सोचा - "मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पायी ?" उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया । उसने उसी समय निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा धंधा बन्द करती हूँ और कहा कि "हे प्रभु ! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना । बस, आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुँगी ।" समझ आने की बात है, दुनिया बदलते देर नहीं लगती । एक दोहे की दो लाईनों से भी हृदय परिवर्तन हो सकता है । बस, केवल थोड़ा धैर्य रखकर चिन्तन करने की आवश्यकता है । 🌷प्रशंसा से पिंघलना मत, आलोचना से उबलना मत, नि:स्वार्थ भाव से कर्म करते रहो, क्योंकि.... इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जाएगा।। 🌸 ❤️हृदय परिवर्तन❤ 🌷एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था । बाल भी सफ़ेद होने लगे थे । एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम सत्ताधीशों की तुला के बट्टे
आशीष
किसी की, किसी के बिना जिंदगी अधूरी नहीं होती, मोहब्बत मिल जाय फिर भी कहानी पूरी नहीं होती सुना है शहर-ए-इश्क़ में किसी की तरजीह नहीं होती, होता गर ऐसा तो मीरा भी कान्हा की दीवानी नहीं होती, मोहब्बत के खातिर दुनियां की बदनामी सहनीं पड़ती है, वर्ना यूँ ही कोई नर्तकी बाजीराव की मस्तानी नहीं होती. किसी की, किसी के बिना जिंदगी अधूरी नहीं होती, मोहब्बत मिल जाय फिर भी कहानी पूरी नहीं होती सुना है शहर-ए-इश्क़ में किसी की तरजीह नहीं होती,
Divyanshu Pathak
मैं दिवाना हूँ इन अदाओं का मैंने तो प्यार किया है तुमसे जिंदगी भर तुम्हें ही चाहूंगा मैंने इक़रार किया है तुमसे ! 💕☕सुप्रभातम💕🙏☕😊 : एक नर्तकी के मकान के सामने एक धार्मिक व्यक्ति का मकान था। कुछ सालों के बाद दोनों यमराज के समक्ष उपस्थित हुए। वहां नर्तकी क
Samriddhi Singh
हुनर तमाशा करता है और किस्मत महलों में राज करती है । Guys the video is up ....check out link on my profile Sometimes I wonder that these lines are true although I believe that talent never go
Writer1
विकलांगता ******************** अखिलेश्वर कि हम भी देन हैं, ना करो हमसे गिरना आखिर हम भी इंसान हैं, विकलांग हुए तो क्या हुआ सोच तो विकसित है, हर क्षेत्रों में नाम हमारा ही गौरवंत हैं। शेष अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇 इतिहास गवाह है हमारी गाथाओं का, क्या क्या करूं वर्णन अपनी कविता में, निकोलस जेम्स वुजिकिक एक प्रेरक वक्ता है, जो टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम के
Mukesh Poonia
नरेश होशियारपुरी
Like oceans,Silence is the ultimate weapon of power ... 🙏*जय श्री कृष्ण*🙏 *श्री कृष्ण की माया* ============== सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा, "कान्हा, मैं आपकी माय
नरेश होशियारपुरी
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी न समझना ।। मैं बन कर ज्वाला फूट जाऊंगा।। शरीफों के लिए बहुत शरीफ़ हूँ मैं।। जब पानी सर से निकला तो कोहराम मचाऊंगा।। 🙏*जय श्री कृष्ण*🙏 *श्री कृष्ण की माया* ============== सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा, "कान्हा, मैं आपकी माय