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Bharat Bhushan pathak
सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak #oddone सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सु
bhim ka लाडला official
Anjali Singhal
Sethi Ji
आसमान इतनी बुलंदी पे जो इतराता हैं भूल जाता है ज़मीन से नज़र आता हैं जो करते हैं अपने माँ बाप की सेवा बिना किसी मतलब के उनकी आँखों में मुझे आज भी इंसान नज़र आता हैं कुछ लोग गलत तरीका अपनाते हैं कामयाबी पाने के लिए मुझे ख़ुदा की पनाह में ज़िन्दगी का सफ़र आसान नज़र आता हैं सब लगे हैं एक दूसरे से आगे बढ़ने की दौड़ में दुनिया में हर कोई परेशान नज़र आता हैं आ गए हम सब शहर पैसा कमाने के लिए मुझे आज भी ख्वाबो में मेरे गांव का मकान नज़र आता हैं 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 ©Sethi Ji ♥️🌟 ज़िन्दगी की रीत 🌟♥️ ज़िन्दगी की ऐसी रीत हो हर हार के बाद जीत हो ।। जो छू जाए मेरे दिल को बिना छुए मेरे बदन को
@Shnaya sah
रब्बा रीत ये तूने कैसी चलाई अपनी बेटी कर पराई और दुसरो की बेटी को घर मे लाई तब भी उनकी कदर ना पायी फिर कैसे होगी ससुराल मे अपनी बेटी की वाह वाही तो फिर क्यों ऐसी रीत है बनाई? ©@Shnaya sah ये कैसी रीत है बनाई?
Bharat Bhushan pathak
शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं। समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही। ©Bharat Bhushan pathak #achievement शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेत
Bharat Bhushan pathak
प्रेम गीत प्रीत रीत प्यार के बखान को। ये दिवस फिर आज प्रणय के उफ़ान को।। ©Bharat Bhushan pathak #सत्यदर्शिका प्रेम गीत प्रीत रीत प्यार के बखान को। ये दिवस फिर आज प्रणय के उफ़ान को।।
MohiTRocK F44
खफा खफा से लगते हो उलझे उलझे से लगते हो फूलो के गुल्दान चडा कर मेरी मय्यात पर रीत निभा दी इसको वफ़ा समझते हो काफिला रहेगा मेरी गली में उस रोज जिस रोज मेरा जनाजा निकलेगा तुमने चार आंसू बहाए थे इसको वफ़ा समझते हो रोया था हर एक इंशा मेरे शहर का तुम मेरे रकीब की बाहों में थी मेरे रकीब को सब कुछ बताया मेरे बारे । में ,, मर गया ।मोहित ये ना बता पाए तुम मेरे रकीब को ना बताकर बाते छुपाई मेरे रकीब से जो उसके साथ किया तुम इसको वफ़ा समझते हो रकीब? शोहर या दूसरा प्रेमी ©MohiTRock F44 खफा खफा से लगते हो उलझे उलझे से लगते हो फूलो के गुल्दान चडा कर मेरी मय्यात पर रीत निभा दी इसको वफ़ा समझते हो काफिला रहेगा मेरी गली मे
Ravendra
Aditya kumar prasad
यदि मन के विपरीत लिखूँ तो दुनिया की रीत लिखूँ जो मन के अनुकूल उसे कैसे मैं विपरीत लिखूँ अंतर्मन की पीड़ा से कितना हूँ भयभीत लिखूँ अच्छा है इन रिश्तों को मैं बालू की भीत लिखूँ कैसे मातम की धुन को मधुर-मधुर संगीत लिखूँ ©Aditya kumar prasad यदि मन के विपरीत लिखूँ तो दुनिया की रीत लिखूँ Anshu writer Arshad Siddiqui Mili Saha PФФJД ЦDΞSHI vineetapanchal Kanchan Pathak Internet Jo