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mani bhandari
श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read moreAnand Dadhich
माता पिता की एक इच्छा में, कितनी इच्छाएं छुपी होती है ? तुम जानना कभी, समझना कभी ! इच्छा-सम्पतिओं में समानता की, इच्छा-अनुरागों में अनुरूपता की, इच्छा-उपासनाओं में समरूपता की, इच्छा-परिधिओं में अनुकूलता की, इच्छा-संबंधो में जागरूकता की इच्छा-घनिष्ठताओं में योग्यता की, इच्छा-विपत्तियों में उदारता की, इच्छा-परिवारों में समरसता की, इच्छा-संभावनाओं में सफलता की, इच्छा- भावनाओं में सुंदरता की, इच्छा-समुदायों में एकता की, इच्छा-तनावों में तारतम्यता की, इच्छा-प्राणों में सुगमता की, माता पिता की एक इच्छा में, कितनी इच्छाएं छुपी होती है ? तुम जानना कभी, समझना कभी। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #इच्छा #अभिलाषा #kavita #kaviananddadhich #poetananddadhich #Family
SONU SUTHAR
पुष्प पौधों पर हो तो खिलखिलाते है। अलग होकर मुरझाते है। गुँथी माला से गले की शोभा बढ़ाते है। टूट जाए तो बिखर जाते है। ©SONU SUTHAR पुष्प
पुष्प #कविता
read moreकवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य मंच ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी
कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी #Poetry
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
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