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New नवरात्रि कब है 2021 में Quotes, Status, Photo, Video

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- Arun Aarya

#autumn #जग में है

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Autumn एक दुनियाँ में सबकी
 दुनियाँ अलग अलग है ,

मग़र  मिलती - जुलती  
लगभग - लगभग  है !

कहाँ  तक  भागोगे  तुम  
अपनी  जिम्मेदारी से ,,

"आर्या " मिलना-जुलना तो
 सबको इसी जग में है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #autumn #जग में है

Anjali Singhal

Love "जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई! भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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"जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई!
भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!"

©Anjali Singhal #Love 

"जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई!
भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!"

#AnjaliSinghal 
#shayari  
#nojoto

Kiran Chaudhary

कश्मकश में है जिंदगी..

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White कश्मकश में है जिंदगी,
जीत से दामन छूटा-छूटा सा है,
और हार मुझे मंजूर नहीं।।

©Kiran Chaudhary कश्मकश में है जिंदगी..

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कब

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White ज़िन्दगी  पूछती  है  ज़िन्दगी  जियोगे  कब।
स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब।
ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में -
आसमाँ  पर  उड़ानें सपनों की  भरोगे  कब।

आप खुद  से बताओ  यार अब  मिलोगे कब।
क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब।
पालते हो  क्यूँ  दिल में  ग़म  उदास  रहते  हो-
रंग  जीवन में अपने खुशियों की  भरोगे  कब।

जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब।
दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब।
कुछ  नहीं  मिलता  है औरों  के लिए जीने से-
हो चुके  सब  के  बहुत अपने बता  होगे कब।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब

F M POETRY

#चाँद बादल में है....

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White मैं तो हैरत में हूँ किसको देखूँ..


चाँद बादल में है छत पर भी है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #चाँद बादल में है....

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर

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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर दर्द के पीछे कोई बात होती है,
हर खामोशी में एक आवाज़ होती है।
पलकों के साए से कब तक छिपोगे,
दिल की पुकार से कब तक बचोगे।

प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक,
खुद से दूरी का फसाना कब तक।
वक्त की इस रेत पर नाम लिखो,
एक बार प्यार से अपनी राह चुनो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर

Schizology

July 2021 2021 poem✍🧡🧡💛 #memory

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July 24th 2021

Quiet and still
No one is awake
Silent and calm
A poem I will make

A fresh breeze
Not very strong
Just enough
To help me along

A fountain
Is very near
Water flows
Clearly I can hear

Someone walks
Down the street
Maybe the same
And can't 

Light a smoke
Relax a bit
On the bench
Is where I sit

I could walk
To the yard
Smoke a joint
It's not that far

It's so good
Legalization
East to west
Money for the nation

Some will grow
A few too
So much better
And safer it's true

I prefer
A social toke
Two good friends
Laugh and joke

Time to end
My poem here
Roll a joint
And I'll say cheers...

©Schizology July 2021

#2021 #poem✍🧡🧡💛 #memory

Schizology

I write 2021 #write 2021 poem✍🧡🧡💛

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I write 2021

I'm sitting outside while I write
In a couple hours it will be daylight
Rain has been falling overnight
Now everything is wet in sight
The chill in the air has a bite
Cover up in your blankets tight
Seeing this weather will not excite
But I have a hot coffee to my delight
The caffeine gets my brain to ignite
In my head I read over and recite
Maybe I can give a bit of insight
My stomach feels like it's in a dogfight
Perhaps its time to tend to my appetite
My belly sometimes is not very polite
I will end this and I will take flight
As for now I will go back inside

©Schizology I write 2021

#write #2021 #poem✍🧡🧡💛

Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?
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