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Anjali Raj
जीवन ने हर वाद विवाद में चुप रहना समझाया प्रत्युत्तर से दोषों का आरोपण कब रुक पाया #अंजलिउवाच #YQdidi #वादविवाद #दोषारोपण #चुप #प्रत्युत्तर
Yogesh Khatodiyaa
बड़ा है ना तू ? तू ही मुझे बतला, यूँ बातों बातों में मेरा न मन सहला , क्या गंगा की धाराएं बेजान है ?? उनकी राह में न कोई मकान है ?? फिर क्यों ये माधोवेणी ही सहम सी जाती है , उद्गम तो होता है कहीं से लेकिन वही से क्यों न बह पाती है ? वो नदी नदी ही क्या जो बाधाओँ का सामना न करे लेकिन एक माँ करे भी क्या जब , बेटी का गला घोंटा जाता है और वो कह भी ना पाती है । 😢योगेश खातोदिया - माधोवेणी नदी पर एक मित्रबंधु को दिया गया प्रत्युत्तर - योगेश खातोदिया
mummy_s_prince
आजकल मंजिले को अपना वह रास्ता मिल नहीं रहा, क्या करे अब हर कोई अपनी मंजिले जो बदल है रहा। बरसों पहले जो मंजिल सबने तय की थी वो नहीं रही, शायद सबकी जरूरतें अब पहले जैसी निश्चिंत नहीं रही। नमस्कार, आज बहुत समय के बाद एक ऐसे विचार ने मुझे इस कद़र विचलित कर दिया है कि बस उसी विचार पर विचार कर रहता । हूं। मेरा सवाल आप सबसे है क्य
Saket Ranjan Shukla
ईर्ष्या के वश में हो तुम और अधिक ख़ून तो अपना जलाऊँगा नहीं, तुम्हें तुम्हारी ही हदें फ़िर से समझाऊँगा नहीं, तुम बस ईर्ष्यावश मुझसे उलझना चाह रहे हो, तुम्हारी चुनौतियों पे मैं गौर भी फ़रमाऊँगा नहीं, बुद्धिहीनों सा जो व्यवहार कर रहे हो तुम निरंतर, माफ़ करना मगर अति, माफ़ भी कर पाऊँगा नहीं, तुम खो चुके हो ख़ुद को भी, मुझ सा बनने के लिए, तुम्हें कोई प्रत्योत्तर दे, मैं तुम्हारे हौसले बढ़ाऊँगा नहीं, हज़ार उपाय हैं “साकेत" के पास तुमसे निपटने के लिए, लेकिन कदाचित मैं मेरी दृष्टि में मेरा स्तर गिराऊँगा नहीं। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ईर्ष्या के वश में हो तुम..! कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 1) ईर्ष्यावश :— ईर्ष्या/जलन के वश में(out of jelousy) 2) बुद्धिहीन :— बेवकूफ, जिसमें बुद्धि
Shree
उन्मुक्त मृगतृष्णा से, निर्मल चित्त लिए नयन ठसाठस स्नेह अविराम से, पसार आंचल नित अनुनय करें, हृदय संधि रखें स्वप्नों के प्रत्युत्तर को अभिज्ञ अवनि अनन्या बैठ वहीं निहारे एकटक अब अंबर को, समरस हो प्रश्न अभिव्यक्ति करें, प्रखर संवाद करें रश्मिरथी से। .....शुभ प्रभात.... 🌼🌼🌼🌼🌼 उन्मुक्त मृगतृष्णा से, निर्मल चित्त लिए नयन ठसाठस स्नेह अविराम से, पसार आंचल नित अनुनय करें,
Sarita Shreyasi
कौन हूँ , स्वयं प्रश्न हूँ , स्वयं उत्तर हूँ। प्रश्न जैसे उत्तरों का, एक मात्र प्रत्युत्तर हूँ। मौन हूँ, मेरा मौन मुखर है जल हूँ,शीतल हूँ , धार मेरी तीव्र है,प्रखर है। कल सहर थी, कल शाम होगी, आज तपती दोपहर हूँ। ताप हूँ, शोषण घुटन का, ध्वंस का अंतिम प्रहर हूँ। विकृति की औषधि हूँ, दुर्विचारों के लिए जहर हूँ। रिसती स्याही हूँ कलम की, पर ढ़ाह सकती मैं कहर हूँ। कौन हूँ , स्वयं प्रश्न हूँ , स्वयं उत्तर हूँ। प्रश्न जैसे उत्तरों का, एक मात्र प्रत्युत्तर हूँ।
Anku
yogesh atmaram ambawale
ते निघून गेले जे जाणार होते, प्रत्येक वेळेस हा जी हा जी कशी चालणार, थोडं उलटं काय बोलले,लगेच रागावून गेले. शक्य तितके मान दिले सन्मान केले, अति झाले म्हणून प्रत्युत्तर दिले. तोडले लगेच नाती गतकाल ही विसरून गेले, बरेच झाले ते निघून गेले जे जाणार होते, स्वार्थी होते ते कामापूरता मामा होते. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे ते निघून गेले.... #तेनिघूनगेले हा विषय Omkar Wadkar यांचा आहे.
Shree
एक दशक चलना, उठना, बैठना, दूसरे में पढ़ लिख कर बाबू बनना, तीसरे में कर नौकरी, परिवार बना जानना, जीतना, सीखना, रुठना मन्नतें, तोहफा, तहज़ीबें और तमन्ना प्यार और नफ़रत के बीच में टटोलता, कभी मन, कभी तन बैरी है तोलता, निहाल कभी मुहाल, बेहाल, अतृप्त.. मृत-शैय्या की और बढ़ते हर पग-पग, अंतर निरन्तर करके बेहतर पद पर.. हारा आने वाले कल में आज की जीत, यही घिस-घिस फिरता किंकर्तव्यविमूढ़.. अठन्नी की बातें, बेसुरा ये रहा विरहा गाते, प्रेम प्रत्युत्तर बिसरे, हंसे नियती के सन्नाटे! एक दशक चलना, उठना, बैठना, दूसरे में पढ़ लिख कर बाबू बनना, तीसरे में कर नौकरी, परिवार बना जानना, जीतना, सीखना, रुठना मन्नतें, तोहफा, तहज़
Bhaskar Anand