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AwadheshPSRathore_7773
प्रथमो गुरूजी की वंदना द्वितीया गौरी सूत गणेश तृतीया सुमिरन शारदा मेरे कंठ करो प्रवेश। ©AwadheshPSRathore_7773 चारो वेदों में प्रभु गणेश जी की स्तुति सबसे पहले की गई है वर्तमान में लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं मुझे आश्चर्य तब होता है की भारतीय परंपरा क
चारो वेदों में प्रभु गणेश जी की स्तुति सबसे पहले की गई है वर्तमान में लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं मुझे आश्चर्य तब होता है की भारतीय परंपरा क #विचार
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस्त आसक्तियों का परित्याग कर देतें है और वन में जाकर अखंड भाव से ब्रह्मचर्य आदि अलौकिक व्रतों का पालन करते हैं। तथा अपने आत्मा को सबके हृदय में विराजमान देखकर स्वाभाविक ही सबकी भलाई करते हैं- वे ही मुनियों के सर्वस्व भगवान मेरे सहायक हैं, वे ही मेरी गति हैं। न उनके जन्म-कर्म हैं, और न नाम-रूप फिर उनके सम्बन्ध में गुण और दोषों की तो कल्पना ही कैसे की जा सकती हैं?फिर भी विश्व की सृष्टि और संहार करने के लिए समय-समय पर वे उन्हें अपनी माया से स्वीकार करते हैं। उन्हीं अनंत शक्तिमान सर्वेश्वर्यमय परब्रह्म परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूँ। वो अरूप होने पर भी बहुरूप हैं। उनके कर्म अत्यंत आश्चर्यमय हैं। मैं उनके चरणों में नमस्कार करता हूँ। ©N S Yadav GoldMine #love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस्
#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस् #मोटिवेशनल
read moreSK Singhania
White विश्व आश्चर्यजनक वस्तुओं से भरा है लेकिन मनुष्य से बड़ा आश्चर्य दूसरा कोई नही.. #सुनिलकुमार..... ©SK Singhania #Buddha_purnima विश्व आश्चर्यजनक वस्तुओं से भरा है लेकिन मनुष्य से बड़ा आश्चर्य दूसरा कोई नही.. #सुनिलकुमार.....
#Buddha_purnima विश्व आश्चर्यजनक वस्तुओं से भरा है लेकिन मनुष्य से बड़ा आश्चर्य दूसरा कोई नही.. #सुनिलकुमार..... #विचार
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White महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्नी गान्धारी और बहू कुन्ती के साथ नृपश्रेष्ठ पृथ्वी पति धृतराष्ट्र वनवास के लिये चले गये, विदुर जी सिद्धि को प्राप्त होकर धर्मराज युधिष्ठिर के शरीर में प्रविष्ट हो गये और समस्त पाण्डव आश्रम मण्डल में निवास करने लगे, उस समय परम तेजस्वी व्यास जी ने जो यह कहा था कि मैं आश्चर्यजनक घटना प्रकट करूँगा वह किस प्रकार हुई? यह मुझे बतायें। अपनी मर्यादा से कभी च्युत न होने वाले कुरूवंशी राजा युधिष्ठिर कितने दिनों तक सब लोगों के साथ वन में रहे थे? प्रभो। निष्पाप मुने। सैनिकों और अन्तःपुर की स्त्रियों के साथ वे महात्मा पाण्डव क्या आहार करके वहाँ निवास करते थे? वैशम्पायन जी ने कहा । कुरूराज धर्तराष्ट्र पाण्डवों को नाना प्रकार के अन्न-पान ग्रहण करने की आज्ञा दे दी थी, अतः वे वहाँ विश्राम पाकर सभी तरह के उत्तम भोजन करते थे। 📒 इसी बीच में जैसाकि मैनें तुम्हें बताया है, वहाँ व्यास जी का आगमन हुआ। राजन्। राजा धृतराष्ट्रके समीप व्यास जी के पीछे उन सब लोगों में जब उपयुक्त बातें होती रहीं, उसी समय वहाँ दूसरे-दूसरे मुनि भी आये। भारत। उन में नारद, पर्वत, महातपस्वी देवल, विश्वावसु, तुम्बरू तथा चित्रसेन भी थे। धृतराष्ट्र की आज्ञा से महातपस्वी कुरूराज युधिष्ठिर ने उन सब की भी यथोचित पूजा की। युधिष्ठिर से पूजा ग्रहण करके वे सब के सब मोरपंख के बने हुए पवित्र एवं श्रेष्ठ आसनों पर विराजमान हुए। कुरूश्रेष्ठ। उन सब के बैठ जाने पर पाण्डवों से घिरे हुए परम बुद्धिमान राजा धृतराष्ट्र बैठे। गान्धारी, कुन्ती, द्रौपदी, सुभद्रा तथा दूसरी स्त्रियाँ अन्य स्त्रियों के साथ आस -पास ही एक साथ बैठ गयीं। नरेश्वर। उस समय उन लोगों में धर्म से सम्बन्ध रखने वाली दिव्य कथाएँ होने लगीं। प्राचीन ऋषियों तथा देवताओं और असुरों से सम्बन्ध रखने वाली चर्चाएँ छिड़ गयीं। 📒 बातचीत के अन्त में सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं और वक्ताओं में श्रेष्ठ महातेजस्वी महर्षि व्यास जी ने प्रसन्न होकर प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्ट्र से पुन: वही बात कही। राजेन्द्र। तुम्हारे हृदय में जो कहने की इच्छा हो रही है, उसे मैं जानता हूँ। तुम निरन्तर अपने मरे हुए पुत्रों के शोक से जलते रहते हो। महाराजा। गान्धारी, कुन्ती और द्रौपदी के हृदय में भी जो दुःख सदा बना रहता है, वह भी मुझे ज्ञात है। श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा अपने पुत्र अभिमन्यु के मारे जाने का जो दुःसह दुःख हृदय में धारण करती है, वह भी मुझे अज्ञात नहीं है। कौरवनन्दन। नरेश्वर। वास्तव में तुम सब लोगों का यह समागम सुनकर तुम्हारे मानसिक संदेहों का निवारण करने के लिये मैं यहाँ आया हूँ। ये देवता, गन्धर्व और महर्षि सब लोग आज मेरी चिरसंचित तपस्या का प्रभाव देखें।l ©N S Yadav GoldMine #love_shayari महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्
#love_shayari महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत् #विचार
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