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DR. LAVKESH GANDHI
नजर ना नजर उठा कर देखती हूंँ मैं उसको ना हीं अब मैं उससे बात करती हूंँ फिर भी वह पागल बन बैठा ऐसा है कि वह दिन-रात मेरा पीछा करता है नींद नहीं आती है तो वह नींद की गोली खाता है फिर भी रात-दिन खुली आंँखों से वह मेरे सपने देखता है ©DR. LAVKESH GANDHI #KhoyaMan # # पतितों के देश में #
Krishnadasi Sanatani
वैद्य की आवश्यकता एक महात्मा अपनी दयालुता के कारण सदा दुखी और पापी कहे जाने वाले अपराधियों से हर समय घिरे रहते थे। यहाँ तक कि जब वे भोजन किया करते थे, तब भी बहुत से पतित लोग उन्हें घेरे रहते थे। एक बार वे बहुत से नीच जाति के और पापी-पतितों के साथ बैठे भोजन कर रहे थे। यह देखकर एक विरोधी ने उनके शिष्य से कहा- "तेरे गुरु, जिसे तुम लोग भगवान की तरह पूजते हो, इस प्रकार नीचों और पतितों से प्रेम करता है, उनके साथ बैठा भोजन पा रहा है। फिर भला तुम लोग किस प्रकार आशा कर सकते हो कि हम लोग उसका आदर करें और उसकी बात माने! महात्मा ने विरोधी की बात सुन ली और विनम्रता पूर्वक उत्तर दिया- "भाई वैद्य की आवश्यकता रोगियों को होती है, निरोगों को नहीं। धर्म की आवश्यकता पापियों को होती है, उनको नहीं जो पहले से ही अपने को धार्मिक समझते हैं। मैं धर्मात्माओं का नहीं पापियों का हित करना चाहता हूँ। उन्हें मेरी बहुत जरूरत है।" राधाकृष्ण ©Krishnadasi Sambhavi वैद्य की आवश्यकता एक महात्मा अपनी दयालुता के कारण सदा दुखी और पापी कहे जाने वाले अपराधियों से हर समय घिरे रहते थे। यहाँ तक कि जब वे भोजन किय
Odysseus
Odysseus
Amar Anand
बेहद खास रिश्तों में छल व प्रपंच की अनोखी दास्तान... शीर्षक है प्रेम-विरह और एक पतित इंसान पूरी कविता नीचे कैप्शन में... यह कविता पूर्ण रूप से काल्पनिक है इसका किसी भी खास व्यक्ति या समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है। वह नादान लड़का प्रेमी था शायद सुनाता हूँ कुछ उसका मुझसे जुड़ा हुआ..अजीब वाकया.. आज देखा मैंने उसे उसी चौराहे पर खड़ा था वह सोचता बहुत लेकिन जो
Hemant Samadhiya
करुणा है सागर भर भर कर, दीनों पर नेह तिहारा है। सुर हों या असुर यदा , सबका तू एक सहारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तारा है।। -2 शरण दिया भूतों को तुमने, शापित चंद्र शिखा पे धारा है। विष कालकूट को पीकर शिव ने, कंठ मध्य स्वीकारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तारा है।। -2 जलगंग जटा में धारण कर, पतितों को भव से तारा है। जिनकी नौकाएँ जर्जर थीं ,उनको भी सागर पार उतारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तारा है।। -2 भूतादिक हो शनकादिक हो, कण कण में वास तिहारा है। जब कहीं विपत्ति आन पड़ी, मन शंभु शंभु पुकारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तारा है।। -2 भक्तों पर संकट आन पड़ा यदि, महाकाल बन स्वयं काल ललकारा है। सुर असुर देव गंधर्व यदा, सब ने वंदन किया तुम्हारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तारा है।। -2 ©Hemant Samadhiya करुणा है सागर भर भर कर, दीनों पर नेह तिहारा है। सुर हों या असुर यदा , सबका तू एक सहारा है।। जिस जिसका जग ने त्याग किया, उस उसको शिव ने तार
Divyanshu Pathak
हर क़दम पर आपका साथ चाहिए हे कृष्ण मुझे आपका हाथ चाहिए ! मैं डगमगाऊँ जब भी चलते चलते तुम मेरे पास हो ये एहसास चाहिए ! 🌹🙏#good morning🌹🙏 : दशा मुझ दींन की कान्हा सम्हालोगे तो क्या होगा मुझे चरणों की सेवा में लगा लोगे तो क्या होगा ! यहां सब मुझसे कहते है तू म