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Mohan raj
White ना कोई इच्छा, ना कोई भय, ना कोई दुःख, शिव के चरणों में बस शांति है न कामः न भयं न शोकः, केवलं शिवपादयोः शान्तिः अस्ति No desire, no fear, no sorrow, there is only peace in the feet of Shiva Dhnyvaad Har Har Mahadev ©Mohan raj #Life lessons shiv bhakti न कामः न भयं न शोकः, केवलं शिवपादयोः शान्तिः अस्ति
Neel
🍁सुनो न .......... चलो चलते हैं उस शहर जहाँ खामोशी भी बातें करती हो, जहाँ सपने भी हकीकत से लगते हों, जहाँ प्यार किश्तों में न बँटता हो, जहाँ मिलने पर मुस्कुराहट झूठी न लगती हो। जहाँ दिलों में सच्चाई हो, न झूठ की परछाईं हो, जहाँ रिश्तों की कीमत हो, न प्रीत की रुसवाई हो। 🍁सुनो न ........... क्या साथ चलोगे मेरे, छोड़ोगे तो न मेरा हाथ, बीच मँझदार में ..... क्या सपने बुनोगे थोड़े, बैठकर मेरे साथ ...... पकड़ हाथों में हाथ। 🍁ज़रा सुनो........ या चले जाओगे अपनी डगर, जहाँ बिन बातों का शोर है, हकीकत और सपनों का, न - ही कोई मोल है ..... जहाँ चेहरे पर चेहरे हैं रिश्तों और प्यार बीच, गड्ढे बहुत गहरे हैं .... 🍁सुनो..........थोड़ा रुको न... साथ - साथ चलते हैं, चाहे उस शहर , चाहे इस डगर, हाथों में लेकर हाथ रख काँधे पे सर, हर ऊँची-नीची राहों से साथ गुज़रते हैं। 🍁सुनो न........साथ - साथ चलते हैं... सच में......🍁🍁🍁 ©Neel सुनो न 🍁
ranjit Kumar rathour
बस आज तक हा आज ही तक कल कही औऱ किसी और संग सब खुश है मैं भी उसी में हु लेकिन ये सब कुछ इतना आसान है क्या सोच कर डर जाती हूँ लेकिन यही सच है सब ने मां लिया है और मुझे मानना ही है सदियो से होता आया है सबके साथ इसलिए मुझे भी जाना होगा कितना कुछ छूट जाएगा किसी को क्या मेरे दोस्त मेरे छोटे प्यारे अब कभी कभी आना होगा अतिथियों की तरह मुझ पर मेरा बस नही होगा किसी और कि अमानत कहलाऊंगी मैं बेटी हु न पराई हु न हा पराई हूँ ©ranjit Kumar rathour पराई हूँ न
KUNWA SAY
होली में मेरे को निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से भीगे कागज की तरह न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के। फोलो करें ©KUNWA SAY #longdrive होली में मेरे को निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से भीगे कागज की तरह न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के। फोलो करें
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh हम अपनी रंजिशें भुला न सके, खफ़ा हैं उनसे बता न सके, ग़ुरूर सामने खड़ा मिलता, चाहकर हाथ मिला न सके, एक पर्दा हमारे दरमियाँ था, पास आए मगर उठा न सके, मिली मग़रूर आँधियाँ जब भी, मशाल थे कि झिलमिला न सके, हरेक लौ से ज़ीस्त चमकाई, खिजां भी हौसला गिरा न सके, दुआओं में थी ख़ैरियत सबकी, प्यार था ये कभी जता न सके, देखकर हाथ में मरहम 'गुंजन', ज़ख़्म अपना कभी छुपा न सके, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #भुला न सके#
Pandey Sandeep
ज़िंदगी की परीक्षा इतनी वफ़ादार होती है.. इसका पेपर कभी भी लीक नहीं होता...! ©Pandey Sandeep #relaxation ज़िंदगी की परीक्षा इतनी वफ़ादार होती है.. इसका पेपर कभी भी लीक नहीं होता...!