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मुसाफिर
इस ठंड भरी एहसास के मौसम में तेरी यादों गर्म चादर है जिसमें हर शाम लिपट जाता हूं। ©मुसाफिर #मौसम
Ghumnam Gautam
सारे मौसम होकर पतझड़ रूठे हैं बिछड़े हैं पर जीते हैं, हम झूठे हैं ©Ghumnam Gautam #मौसम #पतझड़ #ghumnamgautam #झूठे
Chetram Nagauri
White शाम हो गई सूरज भी डूब गया तुने वादा किया था फिर भी नहीं आई मैं रस्ता तेरा निहारता रहा पर तू नहीं आई ©Chetram Nagauri #evening #बेवफा #चाहत #मौसम
Niranjana Verma
White हर मौसम में कुछ बात होती है,पतझड़ के बाद बसंत की शुरुआत होती है,पुराने पत्तो का डाल से गिर जाना ही बेहतर है तभी तो नए पत्तो के आगवन कि शुरुआत होती है ©Niranjana Verma #mountain मौसम
Shivkumar
Autumn ये पत्तों , पेड़ की टहनियों से , जुदा होने का मौसम है । उन्हें तन्हा छोड़ दे क्योकि ये , हवाओं से इश्क लड़ाने का मौसम है ।। नम की आंखों से गम झांकती ये , टहनियों के वीराने का मौसम है । जो शाख से टूटकर जा चुके , अब उन्हें भुलाने का ये मौसम है ।। गर्म हवाओं से दूर ये , सर्द हवाओं का ये मौसम है । तु बहार ए वफ़ा की न फिक्र कर , ये बेवफाओं का ये मौसम है ।। वो जो हमसे बंधन को तोड़ कर जा चुके , उनके मिट जाने का ये मौसम है । जाने भी दो अब बहारो से कोंपले फूटेगी शाख पर , सोचकर जश्न मनाने का ये मौसम है ।। ये पतझड़ है । ©Shivkumar #autumn #पतझड़ #पतझड़ #Nojoto ये पत्तों , पेड़ की टहनियों से , जुदा होने का #मौसम है । उन्हें तन्हा छोड़ दे क्योकि ये , हवाओं से #इश्क
Praveen Sharma sahab
अंत का भी अंत होता है कुछ भी कहा अन्त होता है पतझड़ भी एक घटना है बारह महीने कहा बसंत होता है।। ©Praveen Sharma sahab #मौसम #motivate #vichar #dilkibaat
Neel
एक आस लगी कुछ बातें हों, कभी कभी मुलाकातें हों, मन में आया कह दूं तुमको, जब बिन मौसम बरसाते हों। खिड़की पर बैठी तन्हाई, तुम सांझ ढले आ जाते हो, एक कसक उठी है सीने में, कुछ क्यूं न कहकर जाते हो। समझो आंखों की गहराई, समझो होठों के कंपन को, महसूस करो हाथों की नमी, और दिल में मचलती धड़कन को। भेजे थे तुमको ख्वाब मेरे, सहमे सहमे जज़्बात मेरे, खत मिलते ही तुम आ जाना, जाने से पहले पास मेरे। कुछ कहूं तो जिक्र तुम्हारा हो, जब मौन रहूं सोचूं तुमको, तुमको ही देखूं दर्पण में, और आंखों में भर लूं तुमको। कितने मौसम फिर बदल गए, और बीत गए हैं साल कई, तुम अब भी मुझमें बसते हो, बस नहीं रहे अरमान कोई। मैं तुम्हें ताकती अल्हड़ सी, तुम अंतस को महकाते हो, मैं झूमूं मस्त मयूरी सी, तुम साथ मेरे लहराते हो। फिर वही सुनहरा मौसम हो, फिर वही अनकहे वादे हों, जब वक्त मिले तुम आ जाना, फिर बिन मौसम बरसाते हों। 🍁🍁🍁 ©Neel बिन मौसम बरसातें 🍁