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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White देखिए मतलबीयों के भी मतलबीयों से अनुबंध हो गए//१ नेवलों के भी सांपों से संबंध हो गए//२ देखिए और तो और लोमड़ी के भी सियारों से गठबंध हो गए// ३ बिल्लियां तो बेचारी बेरोजगार बैठी है, रास्ता काटने में कुत्ते लोमड धुरंध हो गए//४ "शमा"शेर ने जरा जम्हाई क्या ली,धूर्त गीदड़ों के भी मंसूबे अंधाधुंध हो गए//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Smile देखिए मतलबीयों के भी मतलबीयों से अनुबंध हो गए//१ नेवलों के भी सांपों से संबंध हो गए//२ देखिए और तो और लोमड़ी के भी सियारों से गठबं
Aditi Bhardwaj
अपने आप को ऐसा बनाओ... जहाँ तुम हों, वहा तुम्हें सब प्यार करें जहाँ से तुम चले जाओ, वहाँ तुम्हें सब याद करें जहाँ तुम पहुँचने वाले हो, वहा सब तुम्हारा इंतजार करें..!! - Ms Dhoni 🫀🧿 ©Aditi Bhardwaj हम चले जायेंगे मगर कहानियाँ रह जाएंगी..!!💛🖤 #Dhoni #IPL2024 #THALA #MSDhoni #MSD #LO√€ #CSK
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White उम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी.... मगर फिर भी संजीदा होती है,आ जाता है उन्हें खुदके लिए वक्त निकाल कर जुल्म से निपटना, शौहर के गुमराह नैनो पे पैनी नजर रखना.... रिश्तों में दोहरेपन झेलती हुए,बावर्ची खाने में खुदको मसरूफ कर लेना,तो कभी पुराने नोट्स के पन्ने पलटने_लिखने में, खुदको तरन्नुम में गुनगुना लेना,कभी खुद पर तवज्जो से निहारकर निखार लेना,इस मानिंद खुदको खुद में तलाशती, अपने ही घर में खामोशी इख्तियार कर लेना,दर हकीकत ये औरतें बहुत नादान होती है,बाहर से शालीन,और अंतर्मन में गमगीन होती है... सच में उम्र रसीदा औरतें कितनी नादान होती है... Blog By....✍️ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nightsउम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी,बिसराई जाएंगी....?? मगर फि
K L MAHOBIA
झाड़ू पोंछा कर रहे , पुरुष घरों में बंद। आफिस में पत्नी गई , पढ़िए मीठे छंद। पढ़ा -लिखा खुद आदमी, करता वह तैयार। पति को भूली शान में , छोड़ दिया मझधार।। कैद हुआ पति घर में , पत्नी का आनंद। रोना धोना बैठ के , खो गया गुल कंद।। के एल महोबिया ✍️ ©K L MAHOBIA #बेचारी के एल महोबिया
Romita Tiwari
Himanshu Prajapati
Life Like My Favourite Song तेरी प्यारी प्यारी दो सखियां बतियाएं मुझसे सारी सारी रतिया..! ©Himanshu Prajapati #Lifelike My Favourite Song तेरी प्यारी प्यारी दो सखियां बतियाएं मुझसे सारी सारी रतिया..!
Vikrant Rajliwal Show
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,
Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ
हर दर्द सहे हंसकर जबतक वो, लगती सबको बेचारी है, हो जब बात आत्मसम्मान की, फिर बन जाती दुर्गा नारी है कर देती है बलिदान खुद को बस अपनों की खुशी के लिए समझे ना कीमत हर कोई इसकी, देती जाने कितनी कुर्बानी है हर फर्ज़ निभा जाती, हर बार झुक जाती, फिर भी जाने क्यूं सबकी अराति है बस प्यार के दो बोल ही काफी है उसको फिर देखो नारी कितनी प्यारी है कभी मोम सी पिघल जाए, कभी ज्वाला सी धधक जाती पर हो जाए जब हद से पार व्यभिचार, फिर वो बन जाती झांसी की रानी है अपने घर के बगिया की वो कोमल ठंडी छाया है, करो सदा सम्मान उसका, चलता है संसार उससे, मौत भी उससे हारी है.... ©Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ #womens_day हर दर्द सहे हंसकर जबतक वो,लगती सबको बेचारी है, हो जब बात आत्मसम्मान की,फिर बन जाती दुर्गा नारी है कर देती है बलिदान खुद को बस अ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती हैं सब सखियां , कहके विरहन आज । जबकी दिल पे मेरे साजन , बस तेरा ही राज ।। आओ अपने अंग लगा लो , बस इतनी है चाह । अबकी होली सुन लो प्रियतम .... माह जेष्ठ में भू ये जलती , तुम बिन जिया हमार । अबके फागुन में आ जाओ , हो मन का शृंगार ।। बिरहन बनकर कब देखूँ , मैं अब तेरी राह । अब की होली सुन .... आज विरह में तन ये काला , मल दो प्रीत गुलाल । बनकर मीरा दर-दर भटकू, आओ मेरे ग्वाल ।। आज प्रेम की मीरा प्यासी , करे मिलन की चाह । अब की होली सुन लो प्रियतम..। अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती ह