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Ripudaman Jha Pinaki

जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ। रिपुदमन झा "पिनाकी" #bonding #शायरी

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जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ
मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

©Ripudaman Jha Pinaki जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ
मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ।
रिपुदमन झा "पिनाकी"

#bonding

रिपुदमन झा "पिनाकी"

चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता, खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता। मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में- खुद को पाने में #स्वरचित

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चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता,
खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता।
मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में-
खुद को पाने में हुआ जाता हूं मैं खुद लापता।
रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता,
खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता।
मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में-
खुद को पाने में

Literature Tahalka

हम हैं हिन्दुस्तान के, हिन्दुस्तान है हमारा। उत्तर में खड़ा हिमालय , पहरेदार हैं हमारा। दुनिया के धड़कनो में , लहराता हिन्दमहासागर , वो नाम

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हम हैं हिन्दुस्तान के,
हिन्दुस्तान है हमारा। 
उत्तर में खड़ा हिमालय ,
पहरेदार हैं हमारा।
दुनिया के धड़कनो में ,
लहराता हिन्दमहासागर , 
वो नाम

Ripudaman Jha Pinaki

मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी। बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी। पड़ता ह #शायरी #Drops

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मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता हूँ पशोपेश में उस वक्त बहुत मैं
करते हो क्या पूछे कभी जो चार आदमी।

दो बात इधर से सुनूं दो बात उधर से
सुनता हूँ सबकी बनके शर्मसार आदमी।

दिन रात तोड़ता है मुफ़्त की जो रोटियां
खा कर नहीं डकार ले मक्कार आदमी।

दुश्मन अनाज के न करें कामकाज कुछ
करते हैं वार बन के सब तलवार आदमी।

मन मेरा कोसता है खीझता है खुद ही पर
मरता नहीं क्यूं तू कहीं ऐ ख़्वार आदमी।

गुलशन था बहारों भरा एक वक्त मैं कभी
अब तो हूँ रंजोगम से मैं गुलज़ार आदमी।

मन धीरे-धीरे हो रहा है मेरा अपाहिज
तन से "पिनाकी" हो गया बीमार आदमी।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता ह

Devang shukla

जितना भी विज्ञान और तकनीक अब अाई है , वो सारी चीज़े भारत में पहले से थी, हमारे वेदों में , गीता में ज्यादातर सारे विज्ञान के बारे में पहले स #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqdada #yqhindi #yqquotes #yqmythoughts #yqrealityoflife

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जैसे जैसे आप विज्ञान को पढ़ना शुरू करेंगे।
आपको भगवान पर विश्वाश कम हो जाएगा।
जैसे जैसे आप विज्ञान को अच्छे से समझ जाएंगे। आपको भगवान पर विश्वास बढ़ना शुरू हो जाएगा।

 जितना भी विज्ञान और तकनीक अब अाई है , वो सारी चीज़े भारत में पहले से थी, हमारे वेदों में , गीता में ज्यादातर सारे विज्ञान के बारे में पहले स

Ripudaman Jha Pinaki

रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है। इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा हुई है भूल मैंने #OneSeason

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रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।

बहुत शातिर खिलाड़ी है चली है चाल वो उसने
हमारे दरमियां शक का ग़ज़ब सामां सजाया है।

कि मुझ पर बेवफाई का दिया इल्ज़ाम है झूठा
किया बदनाम है सबकी निगाहों से गिराया है।

ख़ता है वक्त की शायद जो हम-दोनों में है दूरी
मिलाएगा हमें वो ही जुदा जिसने कराया है।

मुझे दिन याद है जब टूट कर बिखरा हुआ था मैं
उसी ने तो संभाला था बिखरने से बचाया है।

ग़लतफहमी अभी थोड़ी अभी है फासला थोड़ा
हक़ीक़त है कि उसका दिल भी मैंने ही जलाया है।

गिला रखता भी है कहता शिकायत है नहीं कोई
मगर सच है कि रिश्तों को भी शिद्दत से निभाया है।

सफाई बेगुनाही की करूं मैं पेश जितनी भी
अभी मुझसे ख़फ़ा है इसलिए सब झूठ पाया है।  

"पिनाकी' कर ज़रा कोशिश यकीं कायम दुबारा हो
भरोसा तोड़ कर तूने किसी का दिल दुखाया है।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने

Avinasha

त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर

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तुम्हारी आँखें बहुत कुछ कहती थी,
चमक ऐसी मानो कोई नूर बिखरा हो।

इन आँखों में किरकरी रूंआसा दे रही है।
 त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर

Rahul Sharma

त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #trivenimasterclass #मेरीत्रिवेणी

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 जब भूल गए हो तुम हमको 
क्यों सोचे गुजरे जमाने को 
मत आया करो ख्वाबों में तुम अब भी हमें सताने को त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर

SK NIGAM

#बिहार *हम बिहार हैं* भक्त प्रहलाद की जन्म भूमि हम महादानी कर्ण की कर्म भूमि हम, हम वो भूमि हैं जहां सूर्य ने स्वयं पधारे #कविता

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