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SK Singhania
White इश्क़ किया था हमने भी , हम भी रातों को जागे थे था कोई जिसके पीछे हम नंगे पांव भागे थे #Skg ©SK Singhania #sad_quotes इश्क़ किया था हमने भी , हम भी रातों को जागे थे था कोई जिसके पीछे हम नंगे पांव भागे थे #SKG
#sad_quotes इश्क़ किया था हमने भी , हम भी रातों को जागे थे था कोई जिसके पीछे हम नंगे पांव भागे थे #SKG #शायरी
read moreAkram Qumar
हम दोनों ही नहीं जानते हम किस रिश्ते में हैं, हम सिर्फ यह जानते हैं कि हम सुकून में हैं ©Akram Raza 🍁 हम दोनों ही नहीं जानते हम किस रिश्ते में हैं, हम सिर्फ यह जानते हैं कि हम सुकून में हैं❤️
🍁 हम दोनों ही नहीं जानते हम किस रिश्ते में हैं, हम सिर्फ यह जानते हैं कि हम सुकून में हैं❤️ #विचार
read moreAnuj Ray
White अपना समझ बैठे थे हम" चलते चलते राहों में, एक अजनबी को "अपना समझ बैठे थे हम"। सोचा ना समझा, दिल्लगी में हाय रे दिल कितना गजब कर बैठे थे हम। वो मुसाफ़िर निकले सफ़र में, घूम फिर कर , बहला के दिल को चल दिए। दीवानगी का हाल देखो, दिल ही दिल में ,आशिकी का सपना सजा बैठे थे हम। ©Anuj Ray # अपना समझ बैठे थे हम"
# अपना समझ बैठे थे हम" #शायरी
read moreAnuj Ray
White जब हम साथ साथ थे" जब हम साथ साथ थे ,तो जमीं ओ आसमां भी कितने पास पास थे। जब से जुदाई ने बढ़ा दी है हमसे दूरियां, बिखरे पड़े हैं दिल के ख़्वाब थे। अब ना सुबह की भोर सुहानी लगती, ना शाम को मिलने के कहीं इन्तज़ार थे। ©Anuj Ray # जब हम साथ साथ थे"
# जब हम साथ साथ थे" #शायरी
read moreNidhi Verma
क्या तुम्हें कभी महसूस नहीं हुई मेरी कमी?? या कभी मैं तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा थी ही नहीं?? क्या इतने बुरे थे हम? जो तुम्हें कभी मेरा खयाल आया ही नहीं ?? 🙂 ©Nidhi Verma #क्या#इतने#बुरे#थे#हम🙂
Manpreet Benipal
कितने सुलझे हुए थे हम, जब किताबों में उलझे हुए थे हम ©Manpreet Benipal #Books कितने सुलझे हुऐ थे हम
Jashvant
White गुज़िश्ता रात पूरे चाँद की शब थी पस-ए-दहलीज़ तुम थीं और मैं ना-ख़्वास्ता क़दमों से बाहर की तरफ़ जाते हुए आँखों ही आँखों में तुम्हें ख़ुद में समोता जा रहा था भला कब तक ये मंज़र साथ देता! 'ख़ुदा-हाफ़िज़' के लम्हे बाद दरवाज़ा मुक़फ़्फ़ल हो चुका था और आँखों की रसाई से तुम्हारा जगमगाता हुस्न ओझल हो चुका था (मगर मैं बंद दरवाज़े की जानिब देखना भी इश्क़ के आदाब का हिस्सा समझता हूँ) उधर कमरे की छत के ऐन-ऊपर, आसमाँ पर चौदहवीं का चाँद रौशन था तुम्हारी ही शबाहत थी मुझे तो यूँ लगा जैसे फ़लक पर भी तुम्हारा हुस्न ही महताब बन कर जगमगाता है मगर फिर यूँ लगा जैसे कि ये महताब इक चेहरा नहीं इक आँख है जिस में किसी को देखते रहने की ख़्वाहिश झिलमिलाती है तो ये जाना कि उस कमरे की छत के ऐन-ऊपर, आसमाँ पर मैं ने अपनी आँख रख दी ©Jashvant चाँद हम दोनों का हम शक़्ल है Satyaprem Upadhyay Parul rawat sana naaz Raj Guru gaTTubaba
चाँद हम दोनों का हम शक़्ल है Satyaprem Upadhyay Parul rawat sana naaz Raj Guru gaTTubaba #Life
read moreNaveen
खानाबदोस थे हम, रुख किया था उनकी और मुक्कमल हुए थे हम, सफ़र अनमोल था उनकी और प्यार हुआ था मुझे, पनाह मिली थी उनकी और #SAD #memoriesforever
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