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Anupama Jha
मधुमास के मधुर गान सा , कोयल की मधुर तान सा। रवि सम नित उदयमान सा, दिवस के अवसान सा। #प्रेम मधुमास के मधुर गान सा , कोयल की मधुर तान सा। रवि सम नित उदयमान सा, दिवस के अवसान सा।
Divyanshu Pathak
ओउम् नमः शम्भवाय च मयो भवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। यजुर्वेद अ०-16 मंत्र- 41 हे शिव। आपके व्यापक स्वरूप जो सुख देने वाला और मंगलकारी है। मैं प्रणाम करता हूँ। ओउम् नमः शम्भवाय च मयो भवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। यजुर्वेद अ०-16 मंत्र- 41 हे शिव। आपके व्यापक स्वरूप
Divyanshu Pathak
बड़ी पावन सी सूरत है लगे ममता की मूरत है ! दिल में दिव्यता लेकर यशोदा की प्ररूपक है ! मिटा देती है मन से तम ज्ञान की शुभ मुहूरत है ! 🐦🤓☕हरे कृष्ण🍹🍹🐦 Dedicating a #testimonial to अल्पु 🇮🇳 जी सुप्रभात हरे कृष्ण ☕🍹🐦🤓🐇🐿🍷 🍫🐇🐿☕🍹🐦 स्त्रैणभाव में रमी हुई आपकी व्यवहार शैली सबको बड़ी प्रिय लगती है।☕
Shikha Mishra
माँ #yqbaba #YQDidi #माँ #happy_navratri तू ही काली तू ही शक्ति तू ही विश्व रूप है तू ही शिवा तू ही स्वधा तू ही आदिशक्ति रूप है
Kavya Goswami
"भारत" एक जिज्ञासा ! ( please read full in caption ) सम्पुर्ण पृथ्वी के अवलोकन के पश्चात कोई मुझसे पुछे की तुम्हें सबसे सुन्दर देश कौन सा लगा? मै कहूँगी "भारत"। मै ऐसा इसलिये नही कहती क्युंकि
Poonam bagadia "punit"
"आज़ादी"(मेरे विचार) (Read in caption) "आज हमारे देश को आज़ाद हुए पूरे 73 वर्ष हो गए...🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏻 परन्तु मेरा एक सवाल हैं आप लोगों से क्या सच मे हम आज़ाद हो पाए है ??? शायद हम
Divyanshu Pathak
4. देवी कूष्मांडा और संख्या - षष्ठ ( 6 ) --------------------------------- माता शैलपुत्री (9) आरम्भ से अनन्त, ब्रह्मचारिणी (8) अंक से जीवन का पोषण , माता चन्द्रघण्टा (7) से सृष्टि के कौतूहल और चमत्कारों के रुप में दर्शन कर चुके हैं। आज देवी दर्शन का चौथा दिन है दुर्गे मैया के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा कहते हैं।वे ऋतुओं की स्वामिनी हैं और हमारे देश की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ 6 ऋतुयें होती हैं। ऋतुओं के अनुसार मुख्य फ़सल भी 6 ही हैं। सनातन परंपरा के अनुसार शास्त्रों को षड्दर्शन ( सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व-मीमांसा और उत्तर मीमांसा ) कहते हैं। भगवान सूर्य की उपासना भी छठ को की जाती है। शिशु को प्रथम बार दुग्धपान छठवें दिन कराया जाता है।छठी का दूध याद दिलाने का तात्पर्य भी यही है। हमारे शरीर में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास छठी इन्द्रिय से ही होता है। हीरे की आकृति भी षट्कोण वलय होती है। इंद्र के वज्र में भी 6 कोण हैं।योग और उपासना में भी षट्चक्रों ( मूलाधर, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञा ) का विशेष महत्व है। भ्रमर 6 पाँव होने के कारण षडपद कहलाते हैं। साहित्यिक कृतियों में 6 पदों वाले छंद (गीत-छंद) का ख़ास स्थान हैं। तो आओ माता कूष्मांडा के साक्षात दर्शन करते हैं। कैप्शन पढ़ें---- 4. देवी कूष्मांडा और संख्या - षष्ठ ( 6 ) --------------------------------- माता शैलपुत्री (9) आरम्भ से अनन्त, ब्रह्मचारिणी (8) अंक से जीवन क