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!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
New Year 2024-25 दिसंबर आईना और जनवरी सपने दिखती है.. ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-10... #Newyear2024 #Life #me #you
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New Year Resolutions हमने तन्हाई में ज़ंजीर से बातें की हैं अपनी सोई हुई तक़दीर से बातें की हैं तेरे दीदार की हमको क्या तमन्ना होगी ज़िंदगी भर तेरी तस्वीर से बातें की हैं ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-9... #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो, मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना…...!!! ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-8 #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash हमारे आँसुओं की आबदारी और ही कुछ है कि यूँ होने को रौशन गौहर-ए-शबनम भी होते हैं..💯 ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-7 #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash मोहब्बत भी कितनी कमल की होती है... किसी को आबाद कर देती है ,, किसी को बर्बाद कर देती है !! ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-6 #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash नजदीकियां इतनी रखिए की दूर जाने जरूरत ना हो जब रूठ जाए तो मनाने की अहमियत भी रहें..💯 ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-4 #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash मन जब भी बेचैन होकर तुम्हारी इन आंखों को देखा है... सुकून और मुस्कुराने की वजह तुम दे जाती हों ♥️ ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-5 #Life #me #you
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Unsplash इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है... सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है.......❤️ ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-2 #rudr #Life
ss-2 #rudr Life
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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