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Kanika Lakhara
New Year 2024-25 Oh! YES New years comes and goes & will be NO Matter. Matter is... Am I content? Am I Independent? Am I feeling "The best" i feel? 💕🌼 ©Kanika Lakhara #NewYear2024-25 # True meaning of new year# freedom# Life lesson
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read moreVIMALESH YADAV
White टाइम्स ऑफ इंडिया की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला अखबार बन गया। ©VIMALESH YADAV times of India #sad_quotes #vimaleshyadav
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read moreBINOदिनी
कुछ पाना नहीं था, खोने का गम नहीं था। ख़्वाहिश बड़ी या चाहत, कुछ मतलब जानना, हमें गवारा न था।। न मिला कुछ, न कुछ खोये हैं, बस लंबी है राह, मुस्कुराते हुए बस इसमें चलना है।। ©BINOदिनी #Women
Avinash Jha
Beneath an open sky, I shed the chains of doubt and fear. Each step forward felt lighter, my path my own to steer. Freedom, I realized, is the courage to truly be here. ©Avinash Jha #Freedom
Anamika Tyagi
White सलाम हैं उसे जो कुछ भी नहीं इंदिरा गांधी कुछ भी नहीं क्यों क्यों क्योंकि वो एक महिला हैं एतराम हैं उसका जो कुछ भी नहीं कल्पना चावला कुछ भी नहीं क्यों क्यों क्योंकि वो एक महिला हैं मेहरबान हैं कायनात उस पर जो कुछ भी नहीं सावित्री बाई फूले कुछ भी नहीं क्यों क्यों क्योंकि वो एक महिला हैं कदरदान हैं पुरूष उस पर जो कुछ भी नहीं मां दुर्गा कुछ भी नहीं क्यों क्यों क्योंकि वो एक महिला हैं ©Anamika Tyagi #Women
Anamika Tyagi
White ना तुम्हारा कोई न तुम किसकी पर शेर की तरह आती हों पर शमशेर की तरह दहाड़ती हों वाह क्या गीत गाती हों यू ही मन ही मन गुनगुनाती हों ©Anamika Tyagi #Women
Anamika Tyagi
White जब तुम्हे कोई ज़िंदा देखना भी नहीं चाहता बस काम निकलना चाहिए बस घर का काम होना चाहिए बस शादी करके बोझ निपटना चाहिए फिर क्यों फिर क्यों तुम्हें तो किसी ने चाहा भी नहीं तुम अनचाही वस्तु हो जी हां अजी हां वस्तु इंसान भी नहीं फिर क्यों फिर क्यों बात बात पर राग अलापति हो बात बात पर मेरा मेरा करती हो तुम ये जान लो तुम ये मान लो तुम्हारा कोई नहीं ©Anamika Tyagi #women