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Devesh Dixit
चुनाव (दोहे) माँगे नेता वोट हैं, सबसे ही कर जोड़। लो चुनाव अब आ गया, शुरू हो गई होड़।। विज्ञापन भी कर रहे, खूब मचाकर शोर। जनता भी उत्सुक बड़ी, अब आएगी भोर।। वादों ने इनके बहुत, किया हमें हैरान। झूठों की बरसात है, किसका करें बखान।। नेक काम जो भी करें, खींचे उसकी टांँग। सहायता के नाम पर, उनसे करते माँग।। मौका पाकर देखलो, दल को बदले जान। करें बड़ाई शान से, खुद को उत्तम मान।। होते खत्म चुनाव जब, फिर दिखलाते रंग। तेवर उनके यूँ दिखे, हो जाते वे तंग।। कहते हैं सज्जन सभी, उनसे रहना दूर। किसी बात पर रुष्ठ हों, कर देते वे चूर।। राजनीति से वे करें, देखो सारे काम। कुर्सी पाने के लिए, कुछ भी हो अंजाम।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चुनाव #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi चुनाव (दोहे) माँगे नेता वोट हैं, सबसे ही कर जोड़। लो चुनाव अब आ गया, शुरू हो गई होड़।। विज्ञा
Rajni Sardana
#कुर्सी तकल्लुफ ना कर मुझ पर बैठने की, के मैं बहुत परेशान हूँ, लड़ते हैं सब मुझे पाने को, और मैं ख्वामखा ही बदनाम हूँ आते-जातों में मेरे नाम के चर्चे हैं मेरी खातिर बंटते गली- गली पर्चे हैं जीना मरना हुआ सबका मुहाल है मुझ पर बैठने को हर कोई बेहाल है हर शय हर रिश्ता मेरे नीचे दब जाता है मुझ पर बैठ आदमी खुद में नहीं रहता है झूठ,फरेब,भ्रष्टाचार के मुझे भी मिलते है मैडल, कभी-कभी स्वागत करते हैं मेरा जूते-सैंडल सबकी मर्ज़ी के आगे हूँ मज़बूर और लाचार मेरे छिन जाने के भय से लोग पड़ जाते हैं बीमाऱ अरे भाई, कुर्सी ही हूँ जिंदगी नहीं जिंदगी के लिये जियो मेरे लिये नहीं | ©Rajni Sardana #कुर्सी_की_कहानी #कुर्सी
Ravendra
Devesh Dixit
कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम। मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।। दर-दर वो भटका फिरे, जो रहता निष्काम। बोध नहीं कर्तव्य का, होता भी हैरान।। बोध हुआ कर्तव्य का, ईश्वर भी हैं साथ। कहते सभी सुजान हैं, रखते सिर पर हाथ।। भूले जो कर्तव्य हैं, बैठे सीना तान। कुर्सी को थामे रहें, नेता यही महान।। चोरी ये कर्तव्य की, करते हैं जीतोड़। हासिल कुर्सी जब करें, फिर लें मुख को मोड़।। चूके जो कर्तव्य से, रहे नहीं सम्मान। बोझिल ये जीवन हुआ, कब समझे इंसान।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कर्तव्य #दोहे #nojotohindipoetry कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम। मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।। दर-दर वो भटका
ASHU kumari
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
Ashraf Fani【असर】
सत्ता के शैतानों ने लाखों शैतान बना डाला प्यार मोहब्बत के लोहे को नफ़रत से गला डाला ©Ashraf Fani【असर】 कुर्सी के शैतानों ने लाखों शैतान बना डाला प्यार मोहब्बत के लोहे को नफ़रत से गला डाला #ashraffani
Devesh Dixit
कुर्सी (दोहे) कुर्सी को छोड़ें नहीं, ये उनकी है शान। उसको पाने के लिए, लेते नेता जान।। कुर्सी मुझको ही मिले, सबका ये अरमान। कहती दुनिया कुछ रहे, अपना यही जहान।। कुर्सी को छोड़ूँ नहीं, इस पर है अब ध्यान। सत्ता की इस भूख ने, बढ़ा दिया सम्मान।। कुर्सी-कुर्सी कर रहे, नेता देख महान। अपनी मैं की सोच कर, जाते पलट बयान।। भ्रष्टाचारी कह रहे, अपना है ये काम। जेबें मैं अपनी भरूँ, कुर्सी अपना धाम।। कुर्सी से चिपके रहें, सभी कहें विद्वान। इनकी है जो लालसा, जाने सकल जहान।। ......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कुर्सी #दोहे #nojotohindipoetry # मañjü pãwãr Puja Udeshi Dixit Parmar VED PRAKASH 73 Manilal # Subhash Chandra Rama Goswami soni kumari
~Bhavi
वो इंटरव्यू में कमरे के बाहर पड़ी कुर्सी से कमरे के भीतर पड़ी कुर्सी तक का सफ़र आसान नहीं होता।। ©~Bhavi वो इंटरव्यू में कमरे के बाहर पड़ी कुर्सी से कमरे के भीतर पड़ी कुर्सी तक का सफ़र आसान नहीं होता।।🙏🙏