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Ravendra

*जंगल मे फैली आग वन संपदा जल कर हुई खाक* बाबागंज, बहराईच :- सीमावर्ती क्षेत्र के अब्दुल्लागंज रेंज अंतर्गत आज निम्निहारा बिट 7 व 10 में #वीडियो

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Ravendra

*जंगल मे फैली आग वन संपदा जल कर हुई खाक* बाबागंज, बहराईच :- सीमावर्ती क्षेत्र के अब्दुल्लागंज रेंज अंतर्गत आज निम्निहारा बिट 7 व 10 में #वीडियो

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Ravendra

*जंगल मे फैली आग वन संपदा जल कर हुई खाक* बाबागंज, बहराईच :- सीमावर्ती क्षेत्र के अब्दुल्लागंज रेंज अंतर्गत आज निम्निहारा बिट 7 व 10 में #वीडियो

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PRABHAT

यह शायरी उनके लिए जिनको दिल से है प्यार किसी के लिए आपको चाहने वाला प्यारा दोस्त आपका प्रभात

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Adv Di Pi Ka

#truecolors महफ़िल उनको मुबारक जिनको सलामी देनी पसंद हैं... हम तो इज्जत से बुलाई गयी महफ़िल को भी बाइज़्ज़त ठुकरा देते है। #विचार

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Shivkumar

#दिलकीबातशायरी143 दिल की बातें तो दिल ही समझे है , सबको #समझना बहुत ही #मुश्किल होता.!! कुछ #अपनों पर एव कुछ अपनेपन का, #मोहब्बत #ख्वाब #कविता #nojotohindi #आंखों

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gajendra jangid.

मोहब्बत जिनको होती है मुक़ददर रूठ जाता है #Shayari

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@_risky_boy_

ऐसी कौन सी गाड़ी है जिनको आगे से भगवान ने बनाई पीछे से इंसान ने। कमेंट करो जिसे सही उत्तर दिया सो रुपए ईनाम #कॉमेडी

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Salim Saha

जिनको कल के पीकर नही हुआ मुझे रखते है #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह #शायरी

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ग़ज़ल :-
अब उसे आफताब कैसे दें ।
प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।।

जिनको इतना पसंद करता हूँ ।
उनको बासी गुलाब कैसे दें ।।

हुस्न की आज मल्लिका वह है ।
सोचता हूँ ख़िताब कैसे दें ।।

चंद कतरे मिलें हमें खत में ।
तू बता दे जवाब कैसे दें ।।

गीत जिनके लिए लिखे हम थे ।
हम उन्हें वो किताब कैसे दें ।।

प्यार उम्र भर जवान रहता है ।
तू बता फिर ख़िज़ाब कैसे दें ।।

हसरतें दीद की लिए दिल में ।
अब प्रखर ये नक़ाब कैसे दें ।।

१३/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
अब उसे आफताब कैसे दें ।
प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।।

जिनको इतना पसंद करता हूँ ।
उनको बासी गुलाब कैसे दें ।।

हुस्न की आज मल्लिका वह
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