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abhay
जाने किन-किन अंगारो से खुद ही खुद को जला रहे हो... लोग आग बुझाने आए भी तो कैसे तुम्हारी दर पर ... तुम को उनको भी आग का हिस्सा बना लेना चाह रहे हो. थोड़ा ख़ौफ़ अब ख़ुदा का तुम भी खालो जिस के नाम से तुम लाखो को डरा रहे हो... ★★★ @अभय #इंदौर_कांड #इंदौर_कांड
Shashank Rastogi
सुना था शायरी की दुनिया का सिर्फ एक बादशाह है आज वो बादशाह हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गया आप सदैव हमारे दिल में ज़िंदा रहेंगे शायरी की दुनिया को अपना सब कुछ देने के लिए कोटि कोटि प्रणाम। #इंदौरी_साहब #नमन #शायरी #ज़िन्दगी
कवि आशीष(अकेला)
चाय तो बन चुकी है,उसमे मोहब्बत घुलना अभी बाकी है,,,, घर के लोग तो चाय पी चुके है,तुम्हारा आना बाकी है!! ❤️कवि आशीष पँवार❤️ #CupOfHappiness कवि आशीष पँवार इंदौर8818955658
कवि आशीष(अकेला)
चाय तो बन चुकी है,उसमे मोहब्बत घुलना अभी बाकी है,,,, घर के लोग तो चाय पी चुके है,तुम्हारा आना बाकी है!! ❤️कवि आशीष पँवार❤️ #CupOfHappiness कवि आशीष पँवार इंदौर8818955658
कवि आशीष(अकेला)
चाय तो बन चुकी है,उसमे मोहब्बत घुलना अभी बाकी है,,,, घर के लोग तो चाय पी चुके है,तुम्हारा आना बाकी है!! ❤️कवि आशीष पँवार❤️ #CupOfHappiness कवि आशीष पँवार इंदौर8818955658
Kunwar Kuldeep Rathore
अगर राम बनना है तो अयोध्या छोड़ना पड़ेगी। बिना अयोध्या छोड़े लंका नहीं जीती जाती। जिंदगी की यही परिभाषा है। अगर कामयाबी चाहिए तो घर छोड़ना पड़ेगा ।। आपके कर्म और मेहनत ही आपको राम बनाते ही। ©Kunwar Kuldeep Rathore #इंदौर ,,,,
Omprakash Bhati
ओम प्रकाश भाटी के द्वारा रची गई एक छोटी सी दिलदार शायरी आप जो भी देखोगे वह भी लाइक और कमेंट जरूर करें ©Omprakash Bhati इंदौर
ntnrathore
दिलकश, दिलनशीं दिलफरेब माहताब दिखाएंगे तुम्हे ! आना कभी इंदौर, शाही लाल बाग दिखाएंगे तुम्हे!! नवाब"सैम" इंदौर
क्षितिज़ समवर्ती
लगा एकाध फोटो इंदौर में रहते हुए और खींच लूँ। दिन बदल रहे हैं, मौसम बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, संभव है हमारा रहवास भी बदल जाए! पर इन सब बदलावों के बावजूद इंदौर के लिए दिल में बनी जगह नहीं बदलेगी। युग बदलेगा, हम बदलेंगे, लेकिन इंदौर हमारा दूसरा होमटाउन बना रहेगा। आज धनतेरस है, परसों दिवाली होगी, घर में नहीं हूँ लेकिन फिर भी लग रहा है घर में ही हूँ। चारों तरफ सुनाई देती पटाखों की आवाज मे एक अलग ही जादू है। दुकानों की रौनक, बिल्डिंगों में झिलमिलाते झालर, इंदौरी 'भिया' के चेहरे पर दिखती खुशी, ये सब घर की यादों को मिटा नही सकते, पर कम जरूर कर रहे हैं। जैसे-जैसे इंदौर से दूर जाने का समय नजदीक आता जा रहा है मन की दशा कुछ अजीब सी रहने लग गई है। कुछ तो रिश्ता है इस शहर से ? रिश्ता ना भी हो तब भी जुड़ाव तो है ही। आखिर चार साल बिताए हैं यहां। कहां बिसरेंगे यहां के पोहे-जलेबी और होलकैरियन! ©क्षितिज़ समवर्ती # इंदौर